उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में उपलब्ध सभी निष्क्रांत और शत्रु संपत्तियों का ब्योरा आनलाइन करने का निर्णय लिया है। सरकार ने जिलाधिकारियों को ऐसी सभी संपत्तियों का पूरा ब्योरा और उनकी स्थिति की जानकारी आनलाइन करने के निर्देश दिए हैं। सरकार की इस पहल से भूमाफियाओं के हाथों पहुंची ऐसी संपत्तियों को निकाला जा सकेगा। उत्तर प्रदेश में शत्रु संपत्तियों में से अधिकांश अतिक्रमणकारियों और भूमाफिया के कब्जों में पहुंच चुकी हैं। अनेक संपत्तियों को उनके फर्जी वारिसों के नाम पर एक से अधिक बार खुर्द-बुर्द भी किया जा चुका है। पर प्रदेश सरकार का अमला इन भूमाफिया और अतिक्रमणकारियों के सामने इतना असहाय है कि वह इन संपत्तियों को स्वाधीनता के पचहत्तर वर्ष बाद भी चिह्नित तक नहीं कर सका है।
ऐसे में योगी सरकार का ऐसी सभी संपत्तियों को आनलाइन करने का आदेश इन संपत्तियों के विषय में सम्यक जानकारी देने वाला आदेश हो सकता है, अगर इसका जिलाधिकारी ठीक से अनुपालन करें तो। साथ ही यह आदेश जनसामान्य को भी अवगत कराएगा कि जिस भू-भाग पर भूमाफिया नाजायज कब्जा कर भव्य परिसर बना रहे हैं, उनकी सही और वास्तविक स्थिति क्या है।
देश और प्रदेश में शत्रु संपत्तियों की बंदरबांट की बड़ी वजह सियासी तुष्टिकरण भी है। तुष्टिकरण की राजनीति ने इन शत्रु संपत्तियों पर ध्यान देना भी जरूरी नहीं समझा। नतीजतन, इनमें से अनेक संपत्तियां, अधिग्रहण संबंधी लचर कानूनों को धता बता कर पाकिस्तान गए व्यक्ति के सही-गलत वारिसों के पास पहुंच गर्इं। अनेक संपत्तियों पर लोगों के अवैध कब्जे हो गए। अनेक संपत्तियां तो ऐसी भी थीं, जो एक से अनेक बार उनके नकली स्वामियों द्वारा बेची या गिरवी रखी गर्इं। राजा महमूदाबाद बनाम भारत सरकार के चर्चित मामले में इवैक्यू और एनिमी संपत्तियों के तत्कालीन कांग्रेसी सरकारों के बनाए लचर कानूनों के चलते 2017 में सर्वोच्च न्यायालय से भी उत्तराधिकार मिल गया। ऐसे में मोदी सरकार ने 4 मार्च, 2017 को संसद में अधिनियम पारित कर एक पाकिस्तान जा चुके व्यक्ति के कथित उत्तराधिकारी के हाथों जा रही लखनऊ जैसे शहर की अरबों की संपत्ति को रोका है।