पंजाब कांग्रेस के सीनियर नेता प्रताप सिंह बाजवा सोमवार को पूरे फार्म में थे। उन्होंने विधानसभा में आप सरकार पर चुटकी लेते हुए कहा कि सरकार को पंजाब विजिलेंस के दफ्तर पर आम आदमी पार्टी का झंडा लगा देना चाहिए। सीएम भगवंत मान को बाजवा का ये स्टेटमेंट नागवार गुजरा तो वो तुरंत अपनी चेयर से खड़े हो गए और बाजवा से बोले कि बेसिरपैर के आरोप न लगाए। उसके बाद दोनों में जमकर तूतू मैंमैं हुई।
दरअसल प्रताप सिंह बाजवा आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप बीजेपी पर लगाया था। उनका कहना था कि सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स जैसे महकमों के दफ्तरों पर बीजेपी का झंडा लगा देना चाहिए। बाजवा ने जब ये बात कही तब भगवंत मान विधानसभा में मौजूद थे। वो अपनी कुर्सी से खड़े हो गए और बाजवा की बात पर आपत्ति जताई।
भगवंत मान का कहना था कि कांग्रेस नेता को इस तरह की बात नहीं कहनी चाहिए। जो भी दोषी होगा सरकार उसके खिलाफ एक्शन लेगी। बाजवा आक्रामक मूड़ में थे। उन्होंने आप के पूर्व मंत्री फौजा सिंह और बटिंडा रूरल के एमएलए अमित रत्तन का जिक्र कर कहा कि सरकार उनके खिलाफ कोई सख्त कदम उठाने से क्यों हिचक रही है। आखिर सरकार को ऐसा क्या डर है जो अपने नेताओं पर एक्शन नहीं ले पा रही है।
फौजा सिंह और बटिंडा रूरल के एमएलए का जिक्र कर किया मान पर वार
बाजवा का कहना था कि फौजा सिंह ने जनवरी में इस्तीफा दिया था। लेकिन ये उस आडियो टेप के सार्वजनिक होने के काफी समय बाद था जिसमें वो ठेकेदारों को फंसाकर पैसा उगाहने की बात करते दिखे थे। बटिंडा के एमएलए अमित रत्तन को भी सरकार ने अरेस्ट कराया। लेकिन उनके सहयोगी रशिम सिंह को काफी पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्होंने भगवंत मान से अरविंद केजरीवाल के उस वायदे पर सवाल पूछा जिसमें दिल्ली के सीएम ने कहा था कि खनन सेक्टर से सरकार 20 हजार करोड़ रुपये जुटाएगी। बाजवा का सवाल था कि कहां हैं 20 हजार करोड़।
भगवंत मान और बाजवा के बीच चल रही तूतू-मैंमैं के बीच कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने सीएम पंजाब के खिलाफ कुछ तीखी बातें कहीं। इस पर ट्रेजरी बेंच ने आपत्ति जताई। इस दौरान पंजाब असेंबली का माहौल काफी तीखा होता दिखा। दोनों दलों को नेता पीछे हटने को तैयार नहीं थे।