हमारे यहां कैमरा देख कर माता का चरण वंदन नहीं करते, एंकर श्वेता सिंह ने किया सवाल तो गौरव वल्लभ ने भाजपा पर कसा तंज
केंद्र सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए फिर से आमंत्रित किया है। बुधवार को दोपहर 2 बजे यह मीटिंग होगी। यह छठी बार होगा जब गतिरोध का समाधान निकालने का तरीका ढूंढा जाएगा।

आज तक पर डिबेट के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि हमारी पार्टी में कैमरा देखकर चरण वंदन नहीं किया जाता है। दरअसल एंकर श्वेता सिंह ने कहा कि उम्मीद की जा रही है केंद्र सरकार और किसानों के बीच समाधान निकलेगा। कहा यही जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने इन सभी चीजों का फायदा उठाया है। राहुल गांधी ने किसानों को कहा तो कि वीर तुम बढ़े चलो लेकिन फिर वही कि तू चल मैं आता हूं।
इसका जवाब देते हुए गौरव वल्लभ ने कहा कि कौन कहां गया है इससे ज्यादा अहमियत इस बात की है कि 32 दिन किसान ठंड में बैठे रहे। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे 35 किसान शहीद हो गए। पर एक व्यक्ति उनसे मिलने नहीं गया। कौन कहां गया है इससे ज्यादा अहम ये है कि कौन कहां नहीं गया है।
प्रवक्ता ने कहा कि अगर किसी के परिवार में कोई बुजुर्ग बीमार हो जाता है तो आप उससे मिलने जरूर जाओगे। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हमारी ये परंपरा नहीं है कि माता की भी जब चरण वंदना करते हों तो कैमरे की तरफ मुंह कर के करते हों।
प्रवक्ता ने कहा कि मोदी सरकार ने खेती किसानी को महंगा करने का काम किया है। आपने कोर्ट में कहा कि हम लागत के ऊपर एमएसपी नहीं दे सकते हैं। केंद्र ने राज्य सरकारों से कहा कि किसानों को बोनस मत दो। आपने बड़े पूंजीपतियों के तो लोन माफ किए लेकिन किसानों की कर्ज माफी नहीं की। आपकी सूट बूट की सरकार किसानों की खेती कॉरपोरेट को सौंपने के लिए तीन कृषि कानून लाई है।
गौरव वल्लभ ने कहा कि सरकार किसानों को एमएसपी की लीगल गांरटी नहीं देना चाहती मतलब ये है कि आपके मन में खोट है। सरकार को तुरंत किसानों को एमएसपी की गांरटी देनी चाहिए और कानून वापिस ले लेने चाहिए।
बता दें कि केंद्र सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए फिर से आमंत्रित किया है। बुधवार को दोपहर 2 बजे यह मीटिंग होगी। यह छठी बार होगा जब गतिरोध का समाधान निकालने का तरीका ढूंढा जाएगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने नए कानूनों के मामले में एक समिति के गठन का आदेश दिया था।
जानकारी हो कि अब तक की बातचीत अनिर्णायक रही है। जिसमें दोनों पक्ष अपने रुख पर अड़े रहे। किसान कानूनों को खत्म करने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह केवल कानूनों में बदलाव को स्वीकार कर सकती है।
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