नौकरी दिलाने के बहाने मासूमों से अपराध करवा रही नानी, सुधार गृह से फर्जी कागजों से छुड़ाकर
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई ऐसे गिरोह काम कर रहे हैं जो दूसरे राज्यों से गरीब बच्चों को नौकरी दिलाने के नाम पर लाकर उनसे अपराध करवाते हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई ऐसे गिरोह काम कर रहे हैं जो दूसरे राज्यों से गरीब बच्चों को नौकरी दिलाने के नाम पर लाकर उनसे अपराध करवाते हैं। गाजियाबाद की खोड़ा कालोनी में एक ऐसे गिरोह को पनाह मिली है, जो गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर समेत एनसीआर में काम करता है। गिरोह की मुखिया कोई नानी बताई जाती है, जो एक महिला है। पकड़े जाने पर इन बच्चों को बाल सुधार गिरोह भेजा जाता है। वहां से गिरोह फर्जी कागजात के आधार पर उन्हें छुड़ा लेता है। यह नानी कौन है। पुलिस को इसका अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक यह गिरोह साल 2000 से नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मेरठ और दिल्ली से सटे अन्य जिलों में सक्रिय है। एक महीने की ट्रेनिंग के बाद इन बच्चों को अपराध के धंधे में शामिल किया जाता है। बच्चे चोरी करते हैं। दो सौ से चार सौ रुपए देकर नानी चुराए गए मोबाइल रख लेती है। चोरी के मोबाइल कहां खपाए जाते हैं, यह नानी की जिम्मेदारी है। पर्स उड़ाने पर हाथ लगे माल का आधा हिस्सा बच्चों को मिलता है, बाकी नानी के पास जाता है। यह गैंग धड़ल्ले से मोबाइल और महिलाओं के पर्स उड़ा रहा है। कुछ साल में नोएडा के अलग-अलग थानों में ऐसे दर्जनों मामले दर्ज हो चुके हैं। ज्यादातर मामले सेक्टर-20 पुलिस स्टेशन में दर्ज हुए हैं। बारह दिसंबर 2014 और 20 जनवरी को मेरठ बाल सुधार गृह से कई बच्चे भाग निकले थे। इनमें से दो पिछले हफ्ते नोएडा में पकड़े गए थे।
दोनों ने पुलिस के सामने इस कहानी से पर्दा उठाया। दोनों झारखंड के रहने वाले हैं। पैसों का लालच देकर ‘नानी’ उन्हें यहां लेकर आई थी और ट्रेनिंग के बाद धंधे में शामिल कर लिया। नाबालिग बच्चे खोड़ा में रह रहे थे। उन्होंने बताया कि उनके गिरोह में 15 से 20 बच्चे हैं। इन बच्चों के लिए शहर में चोरी के प्वाइंट तय किए गए थे। इस गैंग ने कुछ स्थान चिन्हित कर रखे हैं, जहां ये वारदात को अंजाम देते हैं। माल के बाहर, खाने-पीने वाले स्थान, पिकनिक स्पॉट या फिर दुकान और कॉम्पलेक्स में ये काम करते हैं।
ये बच्चे इस तरह ट्रेंड कर दिए जाते हैं कि पलक झपकते ही वारदात को अंजाम देते हैं। वो अपने काम को इस तरह अंजाम देते हैं कि सामने वाले को पता नहीं चलता। बाल सुधार गृह से छूट कर आए या फिर फर्जी तरीके से छुड़ा कर लाए गए बच्चे सुधरने के बजाय संगठित गिरोह के तौर पर पूरी प्लानिंग के साथ काम कर रहे हैं। जब ये बच्चे हाथ साफ करते हैं, उस समय घटनास्थल पर गैंग के तीन-चार सदस्य मौजूद रहते हैं। मोबाइल उड़ाने के बाद तुरंत दूसरे के हाथ में दे दिया जाता है। पलक झपकते ही सभी फरार हो जाते हैं। इन बच्चों पर कोई शक भी नहीं करता है। नानी का आदमी कुछ दूरी पर खड़ा इन बच्चों पर नजर रखता है। नानी गिरोह कुछ धनराशि पुलिस को भी देता है।
इस मामले में पुलिस अधीक्षक (अपराध) का कहना है कि एक ऐसा गिरोह है जो दिल्ली-एनसीआर में नाबालिग बच्चों से लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दिलवा रहा है। 2011 से अब तक पंद्रह बच्चे चोरी के मामले में धरे जा चुके हैं। गिरोह के सरगना को पकड़ने के लिए दबिश दी जा रही है। काफी अहम सुराग भी हाथ लगे हैं। जल्दी ही इस गिरोह के सरगना को गिरफ्तार मामले का पर्दाफाश किया जाएगा।
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