करीब पांच लाख ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, एमबीए और एमसीए डिग्रीधारियों ने बिहार विधानसभा में ग्रुप डी के 166 पदों की भर्ती के आवेदन किया है। ऐसे में अगर इन डिग्रीधारी आवेदकों का चयन होता है तो इन्हें चपरासी, माली, सफाईकर्मी, दरबान और अन्य ऐसे ही कामों में लगाया जाएगा। ग्रुप डी की भर्तियों में इतने आवेदन पर इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएट अमित जायसवाल ने न्यूज एजेंसी एएनाई से कहा कि रोजगार की कमी के चलते उन्हें चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। जायसवाल ने दावा किया कि बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल करने के बाद लोगों को निजी सेक्टर में दस हजार रुपए की बेसिक सैलरी भी नहीं मिल पा रही है।
ग्रुप डी के लिए आवेदन करने वाले एक अन्य शख्स ने एजेंसी से कहा कि एमटेक, बीटेक और अन्य विशेष क्षेत्रों में डिप्लोमा करने वाले लोग बड़ी संख्या में आवेदन कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सरकारी नौकरी पाने की इच्छा में बड़ी संख्या में लोगों ने ग्रुप डी की नौकरी के लिए आवेदन किया है। शख्स ने कहा, ‘अच्छे संस्थानों से डिग्री लेने के बाद भी ग्रुप डी की नौकरी के लिए आवेदन करना बेरोजगारी का एक कारण हो सकता है, मगर जिन लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन किया है वो चाहते हैं कि उन्हें सरकारी नौकरी मिल जाए। ये लोग निजी सेक्टर में नौकरी नहीं करना चाहते।’
‘इसमें सरकार क्या कर सकती है?’: बिहार के मंत्री श्रवण कुमार ने शुक्रवार को इस बाबत पत्रकारों से कहा- नियुक्ति पाने वाले लोग अपनी इच्छा से आवेदन देते हैं। ये नहीं कि उनको सरकार कहती है कि आप यहीं आवेदन दें। आखिर इसमें सरकार क्या कर सकती है? जिसकी मेरिट होगी, उसका चयन होगा।
#WATCH Shrawan Kumar, Bihar Min on '5 lakh applicants for 186 Group-D posts': Niyukti paane wale log apni icchha se aavedan dete hain. Yeh nahi ki unko sarkar kehti hai ki aap yahin par aavedan dijiye. Toh ismey sarkar kya kar sakti hai? Jo meritorious hai, uska selection hoga. pic.twitter.com/O1s4JCsxBF
— ANI (@ANI) November 22, 2019
हालांकि प्रदेश में विपक्षी दल कांग्रेस इस स्थिति को जांच का विषय मानती है। कांग्रेस नेता प्रेम चंद्र मिश्रा ने लाखों लोगों के आवेदन करने पर कहा, ‘यह चिंता कारण है और मामले में जांच होनी चाहिए।’ उन्होंने आगे कहा, ‘लाखों लोग इस नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं। इन पदों के लिए सितंबर में साक्षात्कार शुरू हो चुका है। मगर अभी तक 4,82,000 से ज्यादा लोग चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए आवेदन कर चुके हैं।’
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि रोजाना करीब 1,500 से 1,600 लोग साक्षात्कार के लिए आ रहे हैं। मिश्रा के मुताबिक, ‘कहीं ना कहीं रोजगार की कमी है और बिहार में बेरोजगारी ज्यादा है। एमबीए और बीसीए की डिग्री होने के बाद भी लोग डी ग्रुप के लिए आवेदन कर रहे हैं।’ ग्रुप डी में लाखों लोगों के आवेदन पर कांग्रेस नेता कहते हैं, ‘उच्च शिक्षा प्राप्त युवा चपरासी की नौकरी तक करने को तैयार हैं। इससे बुरा और कुछ नहीं हो सकता है। मध्य प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों के युवा आवेदन के लिए यहां आ रहे हैं। जिसका मतलब है कि इन राज्यों में भी बेरोजगारी है।’
मामले में आरजेडी विधायक अनवर आलम कहते हैं कि बिहार में मौजूदा हालत के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, ‘इसीलिए उच्च शिक्षा प्राप्त लोग भी प्रदेश असेंबली में चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं। इससे बता चलता है कि राज्य में बेरोजगारी खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है। मुझे लगता है कि ऐसे हालातों के लिए मौजूदा सरकार जिम्मेदार है।’
