पब्लिक से वसूला 44 करोड़ जुर्माना, नेताओं और बीजेपी दफ्तर में जश्न मनाने वालों को छूट- रवीश कुमार का तंज
रवीश ने फेसबुक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा "दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस ने मिलकर दिल्ली में 7 लाख लोगों के चालान काटे हैं। मास्क न पहनने और दो गज की दूरी न बरतने के आरोप में। इन 7 लाख लोगों से अभी तक 44 करोड़ रुपये वसूला जा चुके हैं जिन्हें कोविड की लड़ाई में खर्च किया जा रहा है। यह जानकारी दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में दी है।"

कोरोना का प्रकोप अब भी कम नहीं हुआ है। देश में रोजाना हजारों की संख्या में लोग पॉज़िटिव पाये जा रहे हैं। इसको देखते हुए कई सरकारों ने नाइट कर्फ़्यू भी लगाया है। वहीं कई राज्यों में मास्क न लगाने और दो गज की दूरी न बरतने पर प्रशासन सख्ती दिखा रहा है। लेकिन कई जगहों पर राजनेता खुलेआम रैली करते और जश्न मानते नज़र आए हैं। इसे लेकर एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने तंज़ कसा है।
रवीश ने फेसबुक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा “दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस ने मिलकर दिल्ली में 7 लाख लोगों के चालान काटे हैं। मास्क न पहनने और दो गज की दूरी न बरतने के आरोप में। इन 7 लाख लोगों से अभी तक 44 करोड़ रुपये वसूला जा चुके हैं जिन्हें कोविड की लड़ाई में खर्च किया जा रहा है। यह जानकारी दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में दी है।”
रवीश ने आगे नेताओं पर तंज़ कसते हुए लिखा “वहीं दूसरी तरफ नेता लोग हैदराबाद से लेकर बिहार तक में खुलेआम रैली कर रहे हैं। बीजेपी के दफ्तर में जश्न मना। उन लोगों पर छूट जारी है। उनके लिए कोई नियम कानून नहीं है। 44 करोड़ की राशि सामान्य नहीं है। मुझे तो जुर्माना राज भी पसंद नहीं है। जागरुकता की जगह सब जुर्माना वसूलने पर शिफ्ट हो गए हैं।”
वरिष्ठ पत्रकार ने लिखा “लोगों को ज़रूर मास्क पहनना चाहिए। दो गज की दूरी का पालन करना चाहिए लेकिन जुर्माना वसूलने का यह तरीका कहीं से भी कारगर नहीं है। एक आम आदमी जुर्माना कटा कर उदास मन से चला जाता है लेकिन अमित शाह जैसे बड़े नेता हैदराबाद रैली करने चले जाते हैं जहां सामाजिक दूरी का कोई पालन नहीं होता है। कोविड का बहाना आम जनता से लेकर विपक्ष की सभाओं पर लागू होता है। किसान आंदोलन में बीमार लोगों की स्क्रींनिग होगी और उनका कोविड टेस्ट होगा।”
रवीश ने पूछा “प्रश्न है कि जिन 7 लाख लोगों की जेब से इस कंगाली में 44 करोड़ निकाले गए उन्हें क्या जुर्माना लगाने वालों ने एक अनुशासित वातावरण बना कर दिया था। या जुर्माना लेने के बाद बना दिया है।” उन्होने लिखा “मूल बात ये है कि मास्क पहनने से लेकर दो गज की दूरी बरतने का सामाजिक वातावरण बनाने की कोशिश जून के बाद ही त्याग दी गई। इस बात के बावजूद यह भी सही है कि दिल्ली में ही कुछ अधिक मात्रा में लोग मास्क लगाते दिख जाएंगे। अगर नेताओं ने वातावरण हल्का न किया होता तो दिल्ली में ही इससे और बेहतर स्थिति होती।”
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