प्रधानमंत्री से जुड़े इवेंट में भाजपा ऑफिस से दिए 400 निमंत्रण पत्र, एसपीजी नेट को पार कर पहुंच भी गए
बीते शनिवार को कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी सुभाष की जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी की मौजूदगी में ही सीएम ममता बनर्जी का गुस्सा फूट पड़ा।

बीते शनिवार को कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी सुभाष की जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी की मौजूदगी में ही सीएम ममता बनर्जी का गुस्सा फूट पड़ा। सीएम ममता के बोलने से पहले भीड़ में से ‘जय श्री राम’ के नारे सुनाई दिए। जिसके बाद सीएम ममता ने अपनी नाराजगी जाहिर की। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल बीजेपी कार्यालय से इस कार्यक्रम के लिए 400 निमंत्रण पत्र बांटे गए थे। ये जानकारी बंगाल बीजेपी कार्यालय से मिली।
कार्यक्रम में भीड़ में खड़े कुछ लोगों के व्यवहार से सीएम ममता गुस्सा हो गईं। ये लोग ‘जय श्री राम’ का नारा लगा रहे थे। पुलिस के मुताबिक कार्यक्रम के लिए 600 कारों की पार्किंग का इंतजाम किया गया था। जिसमें से सिर्फ 150 आईं। पुलिस ने कहा कि ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि इन 150 गाड़ियों में आए लोगों ने नारे लगाए। आशंका है कि बीजेपी कार्यालय द्वारा आमंत्रित लोगों ने नारेबाजी की थी।
नेताजी भवन में नेताजी रिसर्च ब्यूरो के चेयरपर्सन सुगत बोस ने कहा, “मेरा सवाल है कि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा कार्यक्रम में इस तरह के लोगों को प्रवेश कैस दिया गया? इन्होंने SPG नेट को कैसे पार किया ? क्या उन्हें विशेष रूप से इसका हिस्सा बनने की अनुमति दी गई थी? ”
हालांकि बीजेपी का कहना है कि जय श्री राम कहना भारत की संस्कृति है। अधिकतर पार्टियों का मानना है कि ऐसा कर बीजेपी ने दिखाया कि उसे बंगाल की संस्कृति की समझ नहीं है। यही नहीं अगले दिन की अखबार की सारी सुर्खियां पीएम मोदी के भाषण से अधिक ममता के गुस्से को मिली।
एक बीजेपी नेता ने कहा,“इस तरह की नारेबाजी ने ममता बनर्जी को साबित करने का मौका दे दिया कि बीजेपी को बंगाल की समझ नहीं है।,”पार्टी द्वारा निमंत्रण भेजे जाने से हंगामा हुआ। एक बंगाल बीजेपी नेता ने कहा,“ राज्य सरकार के कार्यक्रमों में अधिकतर टीएमसी कार्यकर्ता रहते हैं ऐसे में पीएम के कार्यक्रम में बीजेपी कार्यकर्ता आए तो क्या गलत है। ”
इस मुद्दे पर कांग्रेस और लेफ्ट ने सीएम ममता बनर्जी का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इस तरह सीएम को लेकर नारेबाजी नहीं की जानी चाहिए थी।