Parliament: सरकार ने गुरुवार (2 फरवरी) को राज्यसभा में बताया कि 4 लाख से अधिक मामले ऐसे हैं जो देश की अदालतों में 25 वर्षों से ज्यादा वक़्त से लंबित (Pending) हैं। सरकार ने कहा कि 27 जनवरी 2023 तक सुप्रीम कोर्ट में ऐसे 81 मामले लंबित हैं। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी है। किरेन रिजिजू के मुताबिक ऐसे लंबित मामलों की कुल संख्या 4,01,099 है। कानून मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने भी पिछले तीन वर्षों में लंबित मामलों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कानून मंत्री ने बताया कि 27 जनवरी 2023 तक एकीकृत वाद प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईसीएमआईएस) से प्राप्त डाटा के अनुसार भारत के उच्चतम न्यायालय में 25 वर्षों से अधिक समय तक लंबित मामलों की संख्या 81 है।
कानून मंत्री ने और क्या कहा ?
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि 30 जनवरी 2023 तक राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) पर उपलब्ध डाटा के अनुसार 25 वर्षों से अधिक समय तक लंबित वादों की संख्या उच्च न्यायालयों में 1,24,810 और जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में 2,76,208 है। यह पूछे जाने पर कि क्या न्याय के लिए लंबे समय तक चल रहे मुकदमों पर होने वाले खर्च का कोई अध्ययन कराया गया है, जिससे पता चल सके कि न्याय पाने में आम आदमी पर कितना आर्थिक दबाव पड़ता है ? केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह पता लगाने के लिए कोई अध्ययन नहीं किया गया है।
क्या है मामलों पर सुनवाई नहीं होने के कारण ?
कानून मंत्री ने लंबित मामलों की समस्या पर बोलते हुए कहा कि देश की जनसंख्या में वृद्धि और जनता में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ ही साल दर साल नए मामलों की संख्या भी बढ़ रही है। उन्होने कहा कि 2020 के आसपास आई कोविड-19 महामारी ने भी पिछले तीन वर्षों में लंबित मामलों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कानून मंत्री ने इसके अलावा ऐसे मामलों के बढ़ने के और भी कई कारणों पर बात की है। उन्होने कहा कि जजों की उपलब्धता में कमी। लोगों के जागरूक ना होने के कारण, और कई विभिन्न कारणों के रहते ऐसे आंकड़े सामने आए हैं।