अरुण जेटली ने दिया नरेंद्र मोदी सरकार के 3 साल का लेखा-जोखा, कम जीडीपी के लिए नोटबंदी नहीं, वैश्विक मंदी को ठहराया जिम्मेदार
उन्होंने कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचार वाली व्यवस्था खत्म की जिससे दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था की साख मजबूत हुई।

मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए केंद्र सरकार के काम का लेखा-जोखा पेश किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचार वाली व्यवस्था खत्म की जिससे दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था की साख मजबूत हुई। राज्यों में अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। जीडीपी के आंकड़ों पर बोलते हुए वित्त मंत्री बोले की भारत पर वैश्विक मंदी का असर दिखा है। साथ ही 3 में से 2 साल मानसून खराब गया था। जेटली ने वृद्धि दर पर नोटबंदी के प्रभाव पर कहा, “वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में वृद्धि दर में गिरावट के लिए मिले-जुले कारण जिम्मेदार।”
उन्होंने कहा कि आठ नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद किए जाने से पहले भी अर्थव्यवस्था में मंदी के लक्षण दिखाई दिए थे। जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नवंबर 2016 में उठाए गए नोटबंदी के कदम के तीन विशिष्ट लाभ रहे हैं। उन्होंने कहा,”नोटबंदी से तीन प्रमुख लाभ हुए हैं। पहला, डिजिटिलीकरण की तरफ रूझान बढ़ा है। करदाताओं की संख्या बढ़ी है और एक संदेश गया है कि अब नकदी में कारोबार करना आसान नहीं है।” उन्होंने कहा कि ये सभी कदम ‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ के तहत उठाए गए।
उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही है। जेटली ने कहा, ‘‘सात-आठ प्रतिशत की
वृद्धि दर वृद्धि का एक अच्छा स्तर है और भारतीय मानकों के हिसाब से तर्कसंगत है। जबकि वैश्विक मानकों के हिसाब से यह अच्छी वृद्धि है।’’ बुधवार को जारी किए गए जीडीपी आंकड़ों के अनुसार जनवरी-मार्च में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 6.1 प्रतिशत रह गई जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में यह 7.1 प्रतिशत थी जो पिछले तीन वर्षों का न्यूनतम स्तर है। जानिए इसके अलावा और क्या बोले अरुण जेटली:
– विदेशी निवेश के क्षेत्र में सरकार ने बड़े सुधार किए
– जीएसटी लागू होने पर देश में बड़ा बदलाव होगा
– नोटबंदी के जरिए कालेधन की अर्थव्यवस्था को खत्म किया
– अब देश में फैसले लेने वाली सरकार है
– मोदी सरकार में अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है
– रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की एंट्री बड़ी कामयाबी
– मौजूदा 7-8 प्रतिशत की वृद्धि भारतीय मानकों के हिसाब से तर्कसंगत और वैश्विक मानकों के हिसाब से अच्छी है