उमर खालिद का समर्थन कर रहे पूर्व डीजीपी रिबेरो के खिलाफ 26 पूर्व आईपीएस ने जारी किया बयान
उमर खालिद को रविवार को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था, उस पर पूर्वोत्तर दिल्ली में फरवरी में हुई हिंसा की साजिश रचने के आरोप लगाए गए हैं।

दिल्ली हिंसा की साजिश रचने के आरोपों में गिरफ्तार किए गए उमर खालिद का समर्थन करने वाले रिटायर्ड आईपीएस अफसर जूलियो रिबेरो के खिलाफ अब पूर्व आईपीएस अफसरों ने मोर्चा खोल दिया है। बताया गया है कि रिबेरो, जिन्होंने हाल ही में दिल्ली पुलिस कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर पूर्वोत्तर दिल्ली में हुई हिंसा की जांच पर सवाल उठाए थे, उनके खिलाफ 26 पूर्व अफसरों ने बयान जारी किए हैं।
पूर्व अफसरों का कहना है कि रिबेरो, जो कि मुंबई के पूर्व कमिश्नर और गुजरात और पंजाब के डीजीपी रह चुके हैं, उन्होंने कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने वाले उमर खालिद का समर्थन किया है। जिन लोगों ने रिबेरो के खिलाफ बयान पर हस्ताक्षर किए हैं, उनमें दिल्ली के पूर्व कमिश्नर आरएस गुप्ता, पंजाब के पूर्व डीजीपी पीसी डोगरा, केरल के पूर्व डीजीपी एमजी रमन, उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी आरएन सिंह और भानु प्रतारप सिंह और महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी प्रवीण दीक्षित शामिल हैं।
बता दें कि उमर खालिद को रविवार को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था। उस पर पूर्वोत्तर दिल्ली में फरवरी में हुई हिंसा की साजिश रचने के आरोपों के तहत आतंकवाद रोधी कानून UAPA की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। इसी सिलसिले में छह दिन पहले जूलियो रिबेरो ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर एन श्रीवास्तव को चिट्ठी लिखकर कहा था कि पुलिस दिल्ली हिंसा के मामले में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों पर कार्रवाई कर रही है, जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता, जिन्होंने कथित तौर पर भड़काऊ और सांप्रदायिक यान दिए थे, उन्हें नजरअंदाज कर रही है।
रिबेरो की इस चिट्ठी पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने जांच का बचाव करते हुए कहा था कि इस मामले में कोई भी गिरफ्तारी धार्मिक या पार्टी के आधार पर नहीं की गई है। अब रिटायर्ड पुलिस अफसरों ने बयान जारी कर दिल्ली पुलिस का समर्थन किया है और कहा है कि पूर्व पुलिस अफसरों का कोई धड़ा किसी को भी मासूम घोषित कर के पुलिस को बुरा नहीं बना सकता। इन अफसरों को इंडियन पुलिस सर्विस में कार्यरत अपने उत्तराधिकारियों की अखंडता पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है। न ही उन्हें अफसरों को नीति-भ्रष्ट करने का कोई अधिकार है।