नरेंद्र मोदी सरकार ने दिया आंकड़ा- लॉकडाउन नहीं होता तो होतीं और 54 हजार मौतें, 20 लाख कोरोना मरीज
बकौल सरकार, “लॉकडाउन का फैसला देश में सही वक्त पर लिया गया। कई देशों ने इसमें देरी की, जिसका उन्हें खामियाजा उठाना पड़ा। चार अप्रैल के बाद से कोरोना के बढ़ते केसों में गिरावट आई और तभी से लॉकडाउन ने बढ़ते हुए कोरोना के मामलों की रफ्तार कम की।"

कोरोना संकट के बीच अगर देश में लॉकडाउन नहीं होता तो और 54 हजार मौतें होतीं, जबकि 20 लाख कोरोना के मरीज होते। Ministry of Statistics & Indian Statistical Institute के एक अध्ययन के हवाले से शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार ने यह आंकड़ा दिया।
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ताओं समेत अन्य की ओर से कोरोना पर की गई सरकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दो स्वतंत्र अर्थशास्त्रियों के मॉडल का हवाला देते हुए बताया गया कि लॉकडाउन की वजह से करीब 23 लाख कोरोना के केस टल गए, जबकि 68 हजार लोगों की जान जाने से बचीं।
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सरकार ने आगे Public Health Foundation of India के हवासे से कहा कि लॉकडाउन ने लगभग 78,000 जानें बचाई हैं। वहीं, Boston Consulting Group के मॉडल का जिक्र करते हुए कहा गया कि लॉकडाउन ने 1.2 से 2.1 लाख जिंदगियां बचाईं और 36 से 70 लाख के बीच नए कोरोना केस टले।
बकौल सरकार, “लॉकडाउन का फैसला देश में सही वक्त पर लिया गया। कई देशों ने इसमें देरी की, जिसका उन्हें खामियाजा उठाना पड़ा। चार अप्रैल के बाद से कोरोना के बढ़ते केसों में गिरावट आई और तभी से लॉकडाउन ने बढ़ते हुए कोरोना के मामलों की रफ्तार कम की।”
कोरोना पर शुक्रवार को सरकार की पीसी में कई मॉडल्स का ब्यौरा देते हुए लॉकडाउन की अहमियत (13वें मिनट से) बताई गई। देखें:
मोदी सरकार के मुताबिक, लॉकडाउन की शुरुआत में कोरोना के केस 3.4 दिन में दोगुणे हो रहे थे, जबकि अब ये 13.3 दिन में डबल हो रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, शुक्रवार शाम तक देश में कोरोना के 48,534 मरीज अभी तक ठीक हो चुके हैं। यह कुल मामलों का 41 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 3,234 मरीज ठीक हुए हैं। वहीं, कोविड-19 मृत्यु दर 19 मई को 3.13 प्रतिशत से घटकर 3.02 प्रतिशत हो गई है।
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