12 साल पहले की तबाही नहीं भूल सकते लेकिन आने वालों सालों में चमकते रहने की उम्मीद, मुंबई हमले की बरसी पर रतन टाटा ने किया ट्वीट
इस आत्मघाती हमले में सबसे ज्यादा नुकसान प्रसिद्ध ताज होटल को हुआ था। इस हमले की बरसी पर ताज होटल के मालिक और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने ट्वीट कर एक भावुक मैसेज शेयर किया है।

12 साल पहले आज ही के दिन देश की आर्थिक राजधानी मुंबई दहल उठी थी। 26 नवंबर 2008 की वो रात भारत कभी नहीं भूल सकता जब दस आतंकियों ने मुंबई के अलग-अलग इलाकों में अंधाधुंध फायरिंग कर सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इस आत्मघाती हमले में सबसे ज्यादा नुकसान प्रसिद्ध ताज होटल को हुआ था। इस हमले की बरसी पर ताज होटल के मालिक और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने ट्वीट कर एक भावुक मैसेज शेयर किया है।
टाटा ने ताज होटल की एक तस्वीर शेयर की है जिसके ऊपर लिखा है ‘हमें याद है।’ इसके अलावा तस्वीर के बगल में एक मैसेज लिखा हुआ है। संदेश में वे लिखते हैं, “आज से 12 साल पहले जो विनाश हुआ, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगी। लेकिन जो ज्यादा यादगार है, वो ये कि उस दिन आतंकवाद और विनाश को खत्म करने के लिए जिस तरह मुंबई के लोग सभी मतभेदों को भुलाकर एक साथ आए। हमने जिनको खोया, जिन्होंने दुश्मन पर जीत पाने के लिए कुर्बानियां दीं, आज हम जरूर उनका शोक मना सकते हैं। लेकिन हमें उस एकता, दयालुता के उन कृत्यों और संवदेनशीलता की भी सराहना करनी होगी जो हमें बरकरार रखनी चाहिए और उम्मीद है कि आने वालों में यह और बढ़ेगी ही।”
— Ratan N. Tata (@RNTata2000) November 26, 2020
टाटा के इस पोस्ट पर यूजर्स ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी हैं। यूजर्स ने इस हमले में शहीद हुए मुंबई पुलिस के वीर जवानों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस हमले में कॉन्स्टेबल तुकाराम ओम्बले, जॉइंट सीपी हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे, इंस्पेक्टर विजय सालस्कर, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन समेत कई पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।
बता दें लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने दक्षिण मुंबई के कई स्थानों को अपना निशाना बनाया था। आतंकियों ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) रेलवे स्टेशन, नरीमन हाउस कॉम्प्लेक्स, लियोपोल्ड कैफे, ताज होटल और टॉवर, ओबेरॉय-ट्राइडेंट होटल और कामा अस्पताल में हमला किया था। इस हमले में करीब 160 लोगों की जान गई थी, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। 60 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद सुरक्षा बलों 9 आतंकियों को मार गिराया था, जबकि एक आतंकी अजमल आमिर कसाब जिंदा पकड़ा गया था। जिसे बाद में 21 नवंबर, 2012 को पुणे के यरवडा जेल में फांसी दी गई।
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