स्वामी ने अपनी पोस्ट में कहा कि वो सरकार को पहले से चेता रहे हैं कि गैर भाजपा शासित सरकारें वैक्सीन न मिलने से हताश और परेशान हो रही हैं। कहीं ऐसा न हो वो एकजुट होकर विदेशों से वैक्सीन खरीद के करार कर लें और बिल सीधा केंद्र को भेज दें। ऐसे में मोदी सरकार बिल चुकाने से इनकार भी नहीं कर पाएगी। स्वामी का इशारा है कि सरकार को विपक्षी दलों की एकता को देख संजीदगी से कदम उठाने चाहिए। कहीं कोई गलती बेवजह का ऐसा बखेड़ा न खड़ा कर दे जिससे मुंह छिपाना भारी पड़ जाए।
उधर,, एक संयुक्त वक्तव्य में 12 विपक्षी दलों ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान को वो अपना समर्थन दे रहे हैं। जिन दलों ने 26 मार्च के आंदोलन को अपना समर्थन दिया है उनमें कांग्रेस, तृणमूल, शिवसेना, एनसीपी, जेडीएस, जेएमएम, जेकेपीए, सपा, आरजेडी, डीएमके, सीपीआई और सीपीआई (एम) शामिल हैं।
12 opposition parties extend their support to Samyukta Kisan Morcha (SKM) call to observe a countrywide protest day on May 26 marking the completion of six months of farmers protest against new farm laws. pic.twitter.com/YY70OpBU2a
— ANI (@ANI) May 23, 2021
Let Modi government be forewarned that all non BJP states frustrated in not getting adequate supply of vaccines may band together and directly negotiate for bulk orders abroad and send the Bill to the Centre. Modi Govt cannot politically afford to refuse to pay up.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) May 23, 2021
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि उन्होंने किसानों की मांगों के संदर्भ में पीएम मोदी को 12 मई को ही पत्र लिख दिया था। इसमें कहा गया था कि कानून वापसी से लाखों किसान कोरोना का शिकार होने से बच जाएंगे। मांगें पूरी होंगी तो किसान वापस खेती कर सकेगा।
भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि 22 जनवरी से किसानों के साथ सरकार की कोई बातचीत नहीं हुई है। उन्होंने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि 26 मई को अपने घर, दुकान या फिर वाहन के आगे काला झंडा जरूर लगाएं। उनका कहना है कि 26 का प्रदर्शन तीनों काले कानूनों के साथ मोदी सरकार के सात साल के शासन के विरोध में होगा। उनका कहना है कि प्रदर्शन के दौरान पीएम मोदी के पुतले हर जगह जलाए जाएंगे।
किसान आंदोलन के छह माह पूरे होने पर ये प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा है। किसान नेताओं की मांग है कि तीनों काले कानून वापस लेकर एमएसपी को कानूनी दर्जा दिया जाए। किसान नेताओं का ये भी कहना है कि सरकार को तानाशाह रवैया छोड़ उनके साथ बात शुरू करनी चाहिए। अपनी मांगें पूरी हुए बगैर वो घर वापसी नहीं करने वाले हैं।