102 साल के बुजुर्ग एच एस डोरस्वामी ने कहा कि मैं अपना सीवी लिख रहा हूं। पास में कुछ कागज रखे थे जिस पर उन्होंने कुछ लिखा हुआ था। दक्षिण बेंगलुरु में उनके भूतल पर स्थित आवास की मद्धिम रोशनी में डोरस्वामी ने उन कागजों में लिखा अपने जीवन का सारांश पढ़ा। उन्होंने 1918 में शहर में उनके जन्म से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन, विनोबा भावे का भूदान आंदोलन और बेंगलुरु में झीलों को पुनर्जीवित करने के अभियान तक सब लिख रखा था। उन्होंने इन कागजों को दिखाते हुए कहा “आप इसे पढ़ सकते हैं और मुझे बता सकते हैं कि क्या इसमें कुछ भी देश विरोधी है।”
दशकों से कर्नाटक में समाज के आंदोलनों में एक परिचित चेहरा रहे डोरस्वामी अचानक राजनीति का शिकार हो गए हैं। इसकी शुरुआत तब हुई जब बीजापुर के बीजेपी विधायक बासंगौड़ा पाटिल यतनल ने उन्हें पिछले महीने “नकली स्वतंत्रता सेनानी” और “पाकिस्तानी एजेंट” कहा और उनसे स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भागीदारी का सबूत मांगा। केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी सहित कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने यतनल के इस बयान का समर्थन किया है।
जवाब में पिछले मंगलवार को कांग्रेस ने 1971 का एक दस्तावेज का शेयर किया था। ये दस्तावेज़ बेंगलुरु सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक द्वारा हस्ताक्षरित था, जिसमें लिखा हुआ था कि 25 वर्षीय अविवाहित व्यक्ति डोरस्वामी को 18 दिसंबर, 1942 से 8 दिसंबर, 1943 तक कैद में रखा गया था।
भाजपा नेताओं द्वारा डोरस्वामी पर ये आरोप भी लगाया गया था कि उनका कनैक्शन अमूल्या लोना नोरोन्हा के साथ है। अमूल्या वहीं 19-वर्षीय लड़की है जिसे 20 फरवरी को नागरिक कानून के खिलाफ एक रैली में ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ का नारा लगाने पर ‘देशद्रोह’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। डोरस्वामी से उनका कनैक्शन एक तस्वीर के आधार पर निकाला जा रहा है जिसमें अमूल्या को डोरस्वामी के निवास स्थान कोप्पा में दिखाया गया है।
डोरेस्वामी का कहना है कि वह हैरान हैं। उन्होंने कहा “मैं 60 साल से सार्वजनिक जीवन जी रहा हूं। हमारी विचारधारा में अंतर है लेकिन भाजपा और आरएसएस में भी मेरे मित्र हैं। मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि भाजपा मुझ पर इस तरह हमला करेगी।”