पूरी दुनिया में हर 33 घंटे में 10 लाख लोग गरीबी के गर्त में जा रहे हैं। इस दर से इस साल कम से कम 26.30 करोड़ लोगों के गरीबी रेखा से नीचे चले जाने की आशंका है। स्विटजरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक के मौके पर आक्सफैम इंटरनेशनल ने ‘प्राफिटिंग फ्राम पैन’ (पीड़ा से मुनाफाखोरी) शीर्षक से जारी अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतें पिछले दशकों की तुलना में तेजी से बढ़ी हैं।
दावोस में विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक चल रही है। अपनी रिपोर्ट में आक्सफैम इंटरनेशनल ने सोमवार को कहा कि कोरोना महामारी काल में विश्व में हर 30 घंटे में एक नया अरबपति उभरा। इसके उलट इस साल अब हर 33 घंटे में 10 लाख लोग बेहद गरीबी के गर्त में चले जाएंगे। विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनामिक फोरम) सरकारी-निजी भागीदारी का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इसकी बैठक दो साल से ज्यादा समय बाद दावोस में हो रही है।
आक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार महामारी के दौरान हर 30 घंटे में एक नया अरबपति उभरा है। इस दौरान कुल 573 लोग नए अरबपति बने। संगठन ने कहा कि हमें आशंका है कि इस साल हर 33 घंटे में 10 लोगों की दर से 26.30 करोड़ लोग बेहद गरीबी के शिकार हो जाएंगे। कोविड-19 के पहले दो सालों में अरबपतियों की संपत्ति में बीते 23 साल की तुलना में अधिक वृद्धि हुई है। दुनिया के अरबपतियों की कुल संपत्ति अब वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद की 13.9 फीसद के बराबर है। यह 2000 में 4.4 फीसद थी, जो तीन गुना बढ़ चुकी है।
बुचर ने कहा कि अरबपतियों की तकदीर उनकी इसलिए नहीं बढ़ी हैं कि वे कड़ी मेहनत कर रहे हैं। बल्कि इसलिए बढ़ी है कि निजीकरण व एकाधिकार के चलते उन्होंने विश्व संपत्ति का बड़ा हिस्सा झपटा है और अपनी संपत्ति को ‘टैक्स हैवन’ बने देशों में छिपा रहे हैं।