22 मई 1878 को कपूरथला जिले के जब्बोवाल गांव में जन्में गामा पहलवान एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार से थे। गामा के पिता मुहम्मद अजीज बक्श ने बेटे को पहलवान बनने का सपना दिखाया था; लेकिन साकार मामा और नाना ने किया। आज गामा पहलवान का 144वां जन्मदिन है और इस मौके पर गूगल ने भी खास डूडल बनाया है। डूडल में गामा को गदा के साथ दिखाया गया है। आइए इनके बारे में जानते हैं-
द ग्रेट गामा, दारा सिंह (Dara Singh) से भी पहले ‘रुस्तम-ए-हिन्द’ (Rustam-e-Hind) का खिताब अपने नाम करने वाले वो शख्स हैं जिन्होंने वर्ल्ड चैंपियन (Wrestling world champion) बनने के साथ ही बड़े-बड़े दिग्गजों को प्रेरित किया था।
गुलाम मुहम्मद बक्श बट्ट (Ghulam Mohammad Baksh Butt) के पिता यानि गामा पहलवान के पिता दतिया के महाराजा भवानी सिंह के दरबार में कुश्ती लड़ा करते थे। लेकिन इससे पहले वह बेटे को पहलवान बना पाते कि बदकिस्मती से उनके पिता की मौत हो गई। 6 साल के गुलाम मुहम्मद बक्श बट्ट को उनके नाना नून पहलवान ने उनको और उनके भाई को पहलवानी सिखाने का जिम्मा उठाया। इसके बाद गामा पहलवान के मामा ईदा पहलवान ने दोनों को कुश्ती के पैंतरे सिखाए।
गामा पहलवान की ऐसी थी डाइट: अपने पिता की जगह पर गामा पहलवान भी दतिया के महाराजा के दराबर में पहलवान बन गए। इस दौरान वह 12 घंटे से ज्यादा समय तक अभ्यास करते थे। इनके बारे में बताया जाता है कि वह हर दिन करीब 2 से 3 हजार दंड बैठक और 3000 पुशअप करते थे। इसके अलावा भी वह अपने पीठ पर 50 किलो से जयद वजन का पत्थर बांधकर 1 से 2 किलोमीटर दौड़ भी लगाते थे। गामा पहलवान की डाइट के बारे में जानकर लोग दांतों तले उंगलियां दबा लेते थे। गामा पहलवान की डाइट की बात करें तो रोजाना वह कम से कम 6 देशी मुर्गी, 10 लीटर दूध, करीब 1 लीटर घी पी जाते थे। डाइट को लेकर कई जगह कई बातें लिखी हुई हैं, लेकिन ‘The Wrestler’s Body: Identity and Ideology in North India’ नाम से किताब लिखने वाले जोसफ ऑल्टर ने अपने किताब में उनकी डाइट को लेकर विस्तार से लिखा है।
जब विश्व चैंपियन को हराया था: गामा पहलवान के बारे में बताया जाता है कि आज तक कोई कुश्ती नहीं हारे थे। उन्होंने तत्कालीन विश्व चैंपियन पोलैंड के रहने वाले (Stanislaus Zbyszko) नाम के शख्स को इंग्लैंड में कुश्ती में भी हराया। गामा पहलवान ने अपने करियर के दौरान कई खिताब हासिल किए, जिसमें 1910 में वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियनशिप का इंडियन वर्जन और 1927 में वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप शामिल हैं. साल 1947 तक गामा पहलवान ने अपने हुनर से भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया था. हालांकि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय गामा पहलवान अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए थे और उन्होंने उस वक्त की हिंसा में कई हिंदू परिवारों की जान बचाई थी।
82 साल की उम्र में हुई मौत: बंटवारे के वक्त गामा पहलवान पाकिस्तान में ही रह गए थे। पाकिस्तान में वहां की सरकार ने गामा पहलवान का ध्यान नहीं दिया, जिसके बाद अपने आखिरी दिनों में पैसों की तंगी के साथ गुजारा करते थे। गामा पहलवान की 82 साल की उम्र में साल 1960 में मृत्यु हो गई। गामा पहलवान को ‘रुस्तम-ए-हिंद’भी कहा जाता है। आपको बता दें कि महान मार्शल आर्टिस्ट और एक्टर ब्रूस ली भी अपनी एक्सरसाइज में दंड बैठक को शामिल कर लिया था; इसके पीछे की वजह गामा पहलवान ही थे।