Republic Day 2021 Speech, Essay, Quotes: गणतंत्र दिवस पर स्कूल-कॉलेजों में देना है भाषण तो यहां मिलेगी बेहतरीन टिप्स
Republic Day 2021 Speech, Essay, Nibandh, Bhashan, Slogan, Quotes: कहा जाता है कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है

Republic Day 2021 Speech, Essay, Nibandh, Bhashan, Quotes: विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है भारत की बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत। कहा जाता है कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। बता दें कि जब देश को सन् 1950 में 26 जनवरी को संविधान मिला, इसके बाद भारत एक लोकतांत्रिक और गणतंत्र देश घोषित हुआ। इस दिन भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के बाद देश को उसका संविधान सौंपा था। उसके बाद से हर साल ये दिन लोगों के लिए बेहद गौरवमयी होता है जिसे देशवासी हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
इस विशेष मौके पर स्कूल, कॉलेजों व दफ्तरों में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। वहीं, कई जगहों पर भाषण, वाद-विवाद व निबंध प्रतियोगिताएं भी करायी जाती हैं। अगर आप भी इस मौके के लिए स्पीच या निबंध लिखने टिप्स ढूंढ़ रहे हैं तो यहां से लें मदद –
स्पीच 1: हर साल 26 जनवरी को भारत अपना गणतंत्र दिवस मनाता है क्योंकि इसी दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। इसे हम सभी राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाते है और इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। इस महान दिन पर भारतीय सेना द्वारा भव्य परेड किया जाता है जो सामान्यत: विजय चौक से शुरू होकर इंडिया गेट पर खत्म होता है। इस दौरान तीनों भारतीय सेनाओं (थल, जल, और नभ) द्वारा राष्ट्रपति को सलामी दी जाती है, साथ ही सेना द्वारा अत्याधुनिक हथियारों और टैंकों का प्रदर्शन भी किया जाता है, जो हमारे राष्ट्रीय शक्ति का प्रतीक है।
स्पीच 2: 26 जनवरी सन् 1950 को हमारे देश को पूर्ण स्वायत्त गणराज्य घोषित किया गया था और इसी दिन हमारा संविधान लागू हुआ था। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को भारत का गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। गांव से लेकर शहर तक, राष्ट्रभक्ति के गीतों की गूंज सुनाई देती है और प्रत्येक भारतवासी एक बार फिर अथाह देशभक्ति से भर उठता है। बच्चों में इस दिन को लेकर बेहद उत्साह होता है। हमें आजादी बहुत ही मुश्किलों के बाद मिली है। इसके माध्यम से हम अपनी आने वाली पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास के बारे में बता सकते है। साथ ही हमें देश के सपूतों को देखकर उनसे प्रेरणा मिलती है और देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा पैदा होता है।
Highlights
पहले गणतंत्र दिवस के उत्सव की सबसे दिलचस्प बात ये थी कि इसकी शुरूआत तो राजपथ से हुई. लेकिन पहला आयोजन राजपथ पर नहीं बल्कि इर्विन स्टेडियम यानी आज के मेजर ध्यानचंद्र स्टेडियम में हुआ. कनॉट प्लेस और उसके करीबी इलाकों का चक्कर लगाते हुए शाही बग्घी पर सवार राजेंद्र प्रसाद करीब पौने चार बजे सलामी मंच पर पहुंचे. स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने इर्विन स्टेडियम में तिरंगा फहराकर परेड की सलामी ली. परेड में सशस्त्र सेना के तीनों बलों ने भाग लिया. इस परेड में नौसेना इन्फेंट्री, कैवेलेरी रेजीमेंट, सर्विसेज रेजीमेंट के अलावा सेना के सात बैंड भी शामिल हुए. आज भी ये ऐतिहासिक परंपरा बनी हुई है.
भारत के तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्वों में से एक 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस भी है। यह, वह दिन है जब भारत में गणतंत्र और संविधान लागू किया गया था। यही वजह है कि इस दिन को हमारे देश के आत्मगौरव और सम्मान से भी जोड़ा जाता है।
गणतंत्र दिवस पर होने पर परेड में देश की सेना की ताकत की झलक देखने को मिलेगी. इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर राफेल विमान को भी परेड में शामिल किया गया है. इसके साथ ही टी-90 टैंकों और सुखोई-30 एमके आइ लड़ाकू विमान भी प्रदर्शन का हिस्सा होंगे.
भारतीय तिरंगे के बिना हमारा संविधान अधूरा है और संविधान के बिना गणतंत्र की कल्पना अधूरी है. हमारे तिरंगे की खासियत है इसके तीन रंग. केसरिया रंग जहां भारत की ताकत और साहत का प्रतीक है सफेद यानी उजला रंग पूरी दुनिया को ये संदेश देता है कि हम अपनी ताकत और तरक्की को शांति के साथ फैलाना चाहते हैं. वहीं, हरा रंग हमारी तरक्की को दर्शाता है.
गुड मार्निंग, सुप्रभात हम सभी आज अपने देश के 72 वें गणतंत्र दिवस का जश्न मनाने के लिए यहां एकत्रित हैं। यह इवेंट हम में से प्रत्येक के लिए एक बहुत ही अद्भुत और प्रशंसनीय इवेंट है। इस इवेंट के दिन, हमें अपने देश को आगे बढ़ाने और हम सभी का स्वागत करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए। हम 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं क्योंकि 1950 में भारत का संविधान इसी दिन लागू हुआ था।भारत एक बहुत ही लोकतांत्रिक और न्यायपूर्ण राष्ट्र है जहां प्रत्येक नागरिक को उस नेता को चुनने की अनुमति है जो राष्ट्र का नेतृत्व करने का हकदार है। हालांकि अब तक कई सुधार हुए हैं, लेकिन इसके साथ कुछ गिरावट भी दिखी है जैसे कि बेरोजगारी, साक्षरता की कमी, प्रदूषण, गरीबी, और इस तरह की और भी कई समस्याएं हैं। आज हम इस देश के लोगों को एक साथ इस प्रकार के मुद्दों को हल करने का वादा कर सकते हैं ताकि यह देश दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों में से एक बन सके।
गणतंत्र दिवस इतिहास और इसकी विशेषताएं। भारत का संविधान और नागरिकों के अधिकार।
इस बात का ध्यान रखें कि अपनी स्पीच को छोटा और साफ रखें। ध्यान रखें कि इसमें कठिन शब्दों का इस्तेमाल न करें। इससे दूसरों की समझ में कुछ नहीं आएगा।गणतंत्र दिवस के बारे में पहले पैराग्राफ में ही बताएं और साथ में इसकी विशेषताएं बताएं।
कुल 32 झांकियां होंगी जिनमें से 17 विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की, नौ मंत्रालयों की और 6 सुरक्षाबलों की होंगी. ये सभी झाकियां जो पहले लाल क़िले तक जाती थीं, इस बार वे सिर्फ़ नैशनल स्टेडियम तक ही जाएंगी
गणतंत्र दिवस का प्रमुख आकर्षण परेड है। इस दिन 21 तोपों की सलामी दी जाती है। साथ ही परेड भी की जाती है, जिसमें सभी राज्यों की तरफ से झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं। इसके आलावा तीनों सेना की तरफ से कलाबाजी और शक्ति प्रदर्शन दिखाई जाती है।
कोरोना महामारी के कारण गणतंत्र दिवस परेड में काफ़ी बदलाव किए गए हैं. इस बार मोटरसाइकिल स्टंट नहीं होगा इसके अलावा हर साल राजपथ पर 1.25 लाख लोग इस परेड को देखने आते थे जिसकी संख्या घटाकर 25,000 कर दी गई है.
इस साल कोरोना महामारी के कारण सोशल डिस्टेंसिंग बरक़रार रखने के लिए मोटरसाइकिल स्टंट शामिल नहीं किया गया है जबकि पहली बार परेड में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख़ की झांकी शामिल होगी
1948 की शुरुआत में ही डॉ. भीमराव अंबेदकर ने पहली बार संविधान की रूपरेखा संविधान सभा में प्रस्तुत किया था। कुछ संशोधनों के उपरांत नवंबर 1949 में इसे स्वीकार कर लिया गया था। हालांकि, संविधान सभा के सभी सदस्य चाहते थें कि इसे ऐसे दिन पारित किया जाए जो देश के गौरव से जुड़ा हुआ दिन हो। तब सबकी सहमति से ये निर्णय लिया गया कि पूर्ण स्वराज दिवस के दिन भारत का संविधान लागू किया जाए।
सरकारी संस्थानों एवं शिक्षण संस्थानों में इस दिन ध्वजारोहण, झंडा वंदन करने के पश्चात राष्ट्रगान जन-गन-मन का गायन होता है और देशभक्ति से जुड़े विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। देशाक्ति गीत, भाषण, चित्रकला एवं अन्य प्रतियोगिताओं के साथ ही देश के वीर सपूतों को याद भी किया जाता है और वंदे मातरम, जय हिन्दी, भारत माता की जय के उद्घोष के साथ पूरा वातावरण देशभक्ति से ओतप्रोत हो जाता है।
पिछले साल सितंबर में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए राफेल लड़ाकू जहाज़ भी पहली बार परेड में हिस्सा लेंगे. इसके अलावा, परेड में पहली बार कोई महिला फाइटर पायलट भी हिस्सा ले रही हैं. फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कांत भारत की पहली फाइटर पायलटों में से एक हैं और वे वायुसेना की झांकी में शामिल होंगी.
पहली बार बांग्लादेश की सेना का एक दस्ता भारत के गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हो रहा है. यह दस्ता मार्च करता हुआ और बैंड बजाता हुआ परेड में निकलेगा. बांग्लादेश के इस दस्ते में 122 सदस्य होंगे. इससे पहले 2016 में फ्रांस और 2017 में यूएई के सैन्य दस्ते रिपब्लिक डे परेड में हिस्सा ले चुके हैं. ये ऐसे पहले दो देश थे जिनके सैन्य दस्ते इस परेड में सबसे पहली बार शामिल हुए थे.
भारतीय संविधान को हमारी संसद ने लगभग 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद 26 जनवरी 1950 को पास किया गया। भारत ने खुद को संप्रभु, लोकतांत्रिक, गणराज्य घोषित कर दिया। जिसके बाद 26 जनवरी को भारत के लोगों द्वारा गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाने लगा।
गणतंत्र दिवस के मौके पर देश भर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भारत की विविधता में एकता और अखंडता भी दिखाई देती है।
गुड मार्निंग, सुप्रभात हम सभी आज अपने देश के 72 वें गणतंत्र दिवस का जश्न मनाने के लिए यहां एकत्रित हैं। यह इवेंट हम में से प्रत्येक के लिए एक बहुत ही अद्भुत और प्रशंसनीय इवेंट है। इस इवेंट के दिन, हमें अपने देश को आगे बढ़ाने और हम सभी का स्वागत करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए। हम 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं क्योंकि 1950 में भारत का संविधान इसी दिन लागू हुआ था।भारत एक बहुत ही लोकतांत्रिक और न्यायपूर्ण राष्ट्र है जहां प्रत्येक नागरिक को उस नेता को चुनने की अनुमति है जो राष्ट्र का नेतृत्व करने का हकदार है। हालांकि अब तक कई सुधार हुए हैं, लेकिन इसके साथ कुछ गिरावट भी दिखी है जैसे कि बेरोजगारी, साक्षरता की कमी, प्रदूषण, गरीबी, और इस तरह की और भी कई समस्याएं हैं। आज हम इस देश के लोगों को एक साथ इस प्रकार के मुद्दों को हल करने का वादा कर सकते हैं ताकि यह देश दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों में से एक बन सके।
कोरोना महामारी के कारण गणतंत्र दिवस परेड में काफी बदलाव किए गए हैं। इस साल कोरोना महामारी की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग रखने के लिए मोटरसाइकिल स्टंट शामिल नहीं किया गया है। इस बार पहली बार परेड में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख़ की झांकी शामिल होगी। इसके अलावा हर साल राजपथ पर 1.25 लाख लोग इस परेड को देखने आते थे जिसकी संख्या घटाकर 25,000 कर दी गई है।
भारत के तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्वों में से एक 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस भी है। यह, वह दिन है जब भारत में गणतंत्र और संविधान लागू किया गया था। यही वजह है कि इस दिन को हमारे देश के आत्मगौरव और सम्मान से भी जोड़ा जाता है।
पहले गणतंत्र दिवस के उत्सव की सबसे दिलचस्प बात ये थी कि इसकी शुरूआत तो राजपथ से हुई. लेकिन पहला आयोजन राजपथ पर नहीं बल्कि इर्विन स्टेडियम यानी आज के मेजर ध्यानचंद्र स्टेडियम में हुआ. कनॉट प्लेस और उसके करीबी इलाकों का चक्कर लगाते हुए शाही बग्घी पर सवार राजेंद्र प्रसाद करीब पौने चार बजे सलामी मंच पर पहुंचे. स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने इर्विन स्टेडियम में तिरंगा फहराकर परेड की सलामी ली. परेड में सशस्त्र सेना के तीनों बलों ने भाग लिया. इस परेड में नौसेना इन्फेंट्री, कैवेलेरी रेजीमेंट, सर्विसेज रेजीमेंट के अलावा सेना के सात बैंड भी शामिल हुए. आज भी ये ऐतिहासिक परंपरा बनी हुई है.
देश के प्रथम नागरिक यानी राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लेते हैं और राष्ट्रीय ध्वज भी वही फहराते हैं. संबंधित राज्यों के राज्यपाल राज्य की राजधानियों में गणतंत्र दिवस समारोह के मौक़े पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं.
गणतंत्र दिवस का प्रमुख आकर्षण परेड है। इस दिन 21 तोपों की सलामी दी जाती है। साथ ही परेड भी की जाती है, जिसमें सभी राज्यों की तरफ से झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं। इसके आलावा तीनों सेना की तरफ से कलाबाजी और शक्ति प्रदर्शन दिखाई जाती है।
26 जनवरी को भारत का 72वां गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। सन् 1950 में आज के ही दिन उस समय संविधान सभा के अध्यक्ष देश के प्रथम प्रधानमंत्री डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान पारित किया था।
आधिकारिक तौर पर 29 जनवरी को ‘बीटिंग रिट्रीट’ सेरेमनी के साथ गणतंत्र दिवस उत्सव का समापन होता है।
देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया था. इसके बाद से हर साल इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है और इस दिन देशभर में राष्ट्रीय अवकाश रहता है
जब देश को सन् 1950 में 26 जनवरी को संविधान मिला, इसके बाद ही भारत एक लोकतांत्रिक और गणतंत्र देश घोषित हुआ। इस दिन भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के बाद देश को उसका संविधान सौंपा था।
गणतंत्र दिवस पर राजपथ में भव्य गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन होता है। इस दिन राष्ट्रपति तिरंगा झंडा फहराते हैं। राष्ट्रगान और ध्वजारोहण के साथ उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है। अशोक चक्र और कीर्ति चक्र जैसे महत्वपूर्ण सम्मान दिए जाते हैं। इसके साथ ही सेना की तीनों टुकड़ियां परेड में शामिल होती हैं और अपनी सैन्य ताकत दिखाती हैं।
आज हम सभी गणतंत्र दिवस का पर्व मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। इस दिन हम सभी को अपने देश की उन्नति की कामना करनी चाहिए। सबसे पहले आपको बता दूं कि आज गणतंत्र दिवस के दिन 1950 में देश का संविधान लागू हुआ था। गणतंत्र दिवस का यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे हमारे स्वतंत्रता सैनानियों ने अहिंसा और बिना किसी भेदभाव के सिद्धांतों के आधार पर स्वतंत्रता हासिल की। यही वजह है कि इस त्योहार को महान उत्साह और भव्यता के साथ मनाया जाता है।
गणतंत्र दिवस एक राष्ट्रीय पर्व है जो हर साल जनवरी महीने में 26 तारीख को मनाया जाता है. 26 जनवरी, 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को निरस्त कर सविंधान को लागू किया गया. भारत को पूर्ण गणराज्य का दर्जा दिलाने की मुहीम देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में हुई थी. 26 जनवरी, 1929 को लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में भारत को पूर्ण गणराज्य बनाने का प्रस्ताव पेश हुआ था. हालांकि, अंग्रेजी हुकूमत ने कांग्रेस के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था
इस बार कोरोना वायरस महामारी के कारण गणतंत्र दिवस पर कम ही दर्शक राजपथ की परेड देख सकेंगे। इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग का भी खास पालन किया जाएगा।
इस महान दिन पर भारतीय सेना द्वारा भव्य परेड किया जाता है जो सामान्यत: विजय चौक से शुरू होकर इंडिया गेट पर खत्म होता है। इस दौरान तीनों भारतीय सेनाओं (थल, जल, और नभ) द्वारा राष्ट्रपति को सलामी दी जाती है, साथ ही सेना द्वारा अत्याधुनिक हथियारों और टैंकों का प्रदर्शन भी किया जाता है, जो हमारे राष्ट्रीय शक्ति का प्रतीक है।
लंबे संघर्ष के बाद भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अंतत: 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी दिलाई। आजादी के लगभग ढाई साल बाद यानी कि 26 जनवरी 1950 को भारत देश ने अपना संविधान लागू कर दिया। और भारत ने खुद को एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रुप में घोषित कर दिया।
भारतीय संविधान को हमारी संसद ने लगभग 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद 26 जनवरी 1950 को पास किया गया। भारत ने खुद को संप्रभु, लोकतांत्रिक, गणराज्य घोषित कर दिया। जिसके बाद 26 जनवरी को भारत के लोगों द्वारा गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाने लगा।
संविधान की मूल प्रति हस्तलिखित थी, जो कि प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखी थी. इस संविधान को हाथ से लिखने में कुल छह महीनों का समय लगा था. जब संविधान लागू हुआ, तब इसमें कुल 395 लेख, 8 अनुसूचियां निहित थीं और यह संविधान 22 भागों में बंटा हुआ था. संविधान की निर्माण समिति में कुल 284 सदस्य थे.
खास तौर से सरकारी संस्थानों एवं शिक्षण संस्थानों में इस दिन ध्वजारोहण, झंडा वंदन करने के पश्चात राष्ट्रगान जन-गन-मन का गायन होता है और देशभक्ति से जुड़े विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। देशाक्ति गीत, भाषण, चित्रकला एवं अन्य प्रतियोगिताओं के साथ ही देश के वीर सपूतों को याद भी किया जाता है और वंदे मातरम, जय हिन्दी, भारत माता की जय के उद्घोष के साथ पूरा वातावरण देशभक्ति से ओतप्रोत हो जाता है।