बलगम नाम में पाया जाने वाला वो एक साफ, चिपचिपा लिक्विड होता है, जो नाक के जरिये हवा के साथ आने वाले खराब पार्टिकल्स को शरीर में जाने से रोकने के लिए, एक फिल्टर की तरह काम करता है। बलगम शरीर को सुरक्षा प्रदान करने का कार्य करता है, लेकिन कभी-कभी ये काफी ज्यादा मात्रा में बनने लगता है। इस बढ़े हुए बलगम से कई निपटना सच में बहुत परेशानी वाला काम हो सकता है।
बता दें कि बलगम के बढ़ने के पीछे के सामान्य कारण, एलर्जिक रिएक्शन, नॉनएलर्जिक राइनिटिस (rhinitis), इन्फेक्शन और स्ट्रक्चरल एबनोर्मलिटीज़ (structural abnormalities) होते हैं। ऐसे में अपनी नाक के अंदर जमा हुए इस बलगम की अधिकता से निपटने का सबसे अच्छा तरीका ये है, कि आप इसके बढ़ने की वजह को पहचानें और फिर इसके अंदर की समस्या का इलाज़ करें। क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या अस्थमा जैसी बीमारियां बलगम इकट्ठा होने का कारण बनती हैं, आइए जानते हैं कि आप किन नेचुरल तरीकों से इस समस्या से निजात पा सकते हैं-
भाप लें: पुराने समय से सबसे असरदार तरीकों में से के है कि भाप लें, चूंकि स्टीम लेने से नाकिया फेफड़ों के टिशूज की सूजन कम होती है और जिस वजह से बलगम का जमाव भी कम होता है। दादी-नानी के नुस्खों में शामिल स्टीम की मदद से आप नाक या सीने में जमे बलगम से होने वाली समस्या में आराम पा सकते हैं। लेकिन किसी भी स्थिति में पहले डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है।
ह्यूमिडिफायर और एसेंशियल ऑयल: ह्यूमिडिफायर का प्रयोग से गाढ़ा बलगम पतला होता है और नाक और गले के टिशूज को माइश्चराइज होने से आराम मिलता है। वहीं एसेंशियल ऑयल का प्रयोग साइनस और ठंड जैसी बीमारियों में फायदेमंद है क्योंकि यह एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल होते हैं।
आयुर्वेदिक उपचार: फेफड़े में जमे बलगम को साफ करने के लिए अजवायन, तुलसी, काली मिर्च और अदरक के मिश्रण से बनी हर्बल चाय अस्थमा के रोगियों के लिए बेहतर उपाय है क्योंकि यह कफ को खत्म करती है। एक गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच शहद और थोड़ा प्याज का रस और थोड़ी सी काली मिर्च मिलकार पीएं। ये लंग्स को साफ करेगी और कफ और बलगम को आसानी से पिघला देगी।
काले रंग का बलगम आने का क्या कारण है ?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक काले रंग का बलगम आमतौर फेफड़ों में अधिक मात्रा में धुआं भर जाने के कारण आता है। इसका मतलब है कि या तो आप बहुत ज्यादा स्मोक करते हैं या फिर आप बहुत प्रदूषित जगह पर सांस लेते हैं। इसके अलावा यह क्रोनिक साइन संक्रमण के लक्षण भी हो सकते हैं।