यूरिक एसिड के बढ़ने से आजकल कई लोग परेशान हैं। बुजुर्ग ही नहीं युवा भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। यूरिक एसिड सभी की बॉडी में बनता है जिसे किडनी फिल्टर करके यूरिन की जरिए बॉडी से बाहर निकाल देती है। यूरिक एसिड का बनना परेशानी की बात नहीं है यूरिक एसिड का बढ़ना परेशानी का सबब है। बॉडी में यूरिक एसिड बढ़ने से गठिया, जोड़ों में दर्द, गाउट और सूजन जैसी परेशानी हो सकती है।
आयुर्वेद में यूरिक एसिड बढ़ने की परेशानी को ‘वातरक्ता’ कहा गया है। यूरिक एसिड बढ़ने से ये क्रिस्टल के रूप में जोड़ों में जमा होना शुरू हो जाता है जिसकी वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन की परेशानी होती है। यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़ों में सूजन और लाल रंग के घाव हो जाते हैं, खासतौर पर उंगलियों और पैर की उंगलियों में घाव होता है।
खराब लाइफस्टाइल और खान-पान की खराबी की वजह से पनपने वाली इस बीमारी को कंट्रोल करने के लिए देसी नुस्खें बेहद असरदार साबित होते हैं। यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए पीपल की छाल का इस्तेमाल बेहद असरदार साबित होता है। आयुर्वेद के मुताबिक पीपल की छाल का इस्तेमाल यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में बेहद असरदार साबित होता है।
पीपल की छाल का उपयोग कैसे करें
- पीपल की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से यूरिक एसिड को कंट्रोल किया जा सकता है। पीपल की छाल 10 ग्राम लें और इसे 250 मिलीलीटर पानी में धीमी आंच पर तब तक पकाएं जब तक ये आधा नहीं रह जाए। फिर इस काढ़े को छानकर दो भागों में बांटकर सुबह-शाम उसका सेवन करें।
- गठिया के दर्द से छुटकारा पाने के लिए एक कप दूध में आधा चम्मच हरड़ का चूर्ण और दो चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर उसका सेवन करें यूरिक एसिड कंट्रोल रहेगा।
- गाउट के इलाज में थेरेपी के साथ-साथ परहेज भी जरूरी है। रोगी को ठंडी और ठंडी चीजों से पूरी तरह बचना चाहिए। नहाते समय गर्म पानी का प्रयोग करें और सूजे हुए स्थान को रेत की थैली या गर्म पानी के पैड से सिकाई करें।
यूरिक एसिड में क्या नहीं खाना चाहिए? आर्थराइटिस के मरीजों के लिए खान-पान पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। अधिक तेल और मिर्च वाले भोजन से बचें और डाइट में हाई प्रोटीन वाली चीजें जैसे मांसाहारी और दालें न लें।