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कोरोना की तीसरी लहर में अस्पताल पहुंच रहे हैं बच्चे, एक्सपर्ट्स से जानिए कैसे रखें बच्चों का ख्याल

डाक्टरों का कहना है कि बच्चों को सुरक्षित रखने विशेष सावधानी की जरूरत है। सर्दी-जुकाम, खांसी-बुखार से पीड़ित बुजुर्ग बच्चों के संपर्क में न आएं, आवश्यकता है।

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15 से 18 साल के बच्‍चों के Vaccination लिए बिना Aadhar Card के भी कर सकते हैं पंजीकरण (File Photo)

देश की राजधानी दिल्ली और बाकि राज्यों में भी कोरोना संक्रमण का दायरा तेजी से फैल रहा है। ज्ञात हो कि इससे पहले के दो लहरों में बच्चों को इस वायरस से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ लेकिन कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में बच्चे तेजी से आ रहे हैं। ओमीक्रॉन बच्चों को तेजी से अपनी चपेट में ले ले रहा है, ऐसे में बच्चों में सर्दी-जुकाम, कफ वाली खांसी और तेज बुखार के लक्षण देखे जा रहे हैं।

कमजोर इम्यून सिस्टम (Weak Immune System) वाले बच्चों को मौसम बदलते ही सर्दी (Cold), खांसी (Cough), जुकाम, बुखार (Fever) जैसी समस्याएं होनी शुरू हो जाती हैं। कोरोना वायरस कमजोर इम्यून सिस्टम पर ही हमला करता है, इन्हीं सारी बातों को ध्यान में रखते हुए हमने बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सागरदीप सिंह बावा से कुछ सवाल किये हैं, आइये उन सवालों के उत्तर के माध्यम से जानतें हैं कि हमें इस दौरान बच्चों का किस तरह से ख्याल रखना चाहिए।

बच्चों में किस तरह से दिख रहे हैं लक्षण, सर्दी-जुकाम और ओमीक्रॉन में अंतर कैसे करें?
नोएडा के नियो हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सागरदीप सिंह बावा ने जनसत्ता डॉट कॉम से बात करते हुए बताया कि आमतौर पर मौसम बदलने के कारण बच्चों में बुखार, खांसी, बदन दर्द आदि लक्षण पाए जाते हैं। ये सामान्य लक्षण कोविड के भी हैं लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में अस्पताल आने वाले कई बच्चों में उल्टी दस्त के लक्षण भी पाए गए थे। ऐसे में यदि आपके बच्चे को कोई लक्षण हैं तो आप जांच कराएं साथ ही यदि घर में कोई नवजात बच्चा है और दूध नहीं पी रहा है तो ऐसे में सतर्क होने की जरूरत है। बिना देर किये आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

बच्चों पर ओमीक्रॉन का प्रभाव कितना है, क्या अभी तक कोई डेथ हुई है?
अभी फ़िलहाल पिछले कुछ दिनों से ही बच्चों में मामले अचानक से बढ़े हुए देखे गए हैं, जिनमें ज्यादातर सामान्य लक्षण सर्दी, खांसी, जुकाम आदि देखे गए हैं। अभी किसी प्रकार के कोई गंभीर लक्षण नहीं देखे हैं और नहीं ही अभी तक ऐसी कोई स्थिति आई है जिसमें बच्चों को भर्ती करना पड़ा हो। इसके अलावा फिलहाल तो मृत्यु दर की बात करें तो यह बहुत ही कम है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं की हम लापरवाही करें।

बच्चों पर ओमीक्रॉन के वार्निंग लक्षण क्या हैं और अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है?
वार्निंग लक्षणों की बात करें तो बच्चों में पसलियां चलना, 4 दिन से लगातार बुखार आ रहा हो, चेस्ट पेन और सीने में जकड़न, होंठों का नीला पड़ना, सांस लेने में तकलीफ हो रही हो और ऑक्सीजन लेवल 95 के नीच हो और लगातार गिर रहा हो तो ऐसी स्थिति में अपने नजदीकी कोविड हॉस्पिटल में संपर्क करें।

ओमीक्रॉन से बच्चों की हिफाजत कैसे करें और पैरेंट्स को किन बातों का रखना चाहिए विशेष ध्यान?
डॉक्टर सिंह ने कहा कि कोविड के इलाज से बेहतर है बचाव। चूंकि छोटे बच्चों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी उनसे ज्यादा पैरेंट्स के ऊपर होती है। ऐसे में बच्चों से ज्यादा उनके माता- पिता को उनका ख्याल रखना है। बचाव के वही तरीके हैं जो अभी तक हम सभी करते आ रहे हैं; मास्क, सैनेटाइजेशन, सोशल डिस्टेंसिंग और हाइजीन का ख्याल रखना। इसके साथ ही बच्चों को पोषण से भरपूर डाइट दें ताकि उनकी इम्यूनिटी अच्छी रहे। कोविड जैसे बीमारियों से बचने के लिए फिलहाल यही अच्छा रास्ता है।

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First published on: 22-01-2022 at 18:15 IST
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