Shastri Jayanti 2019: शास्त्री जी के आदेश पर पाकिस्तान में घुसकर इंडियन आर्मी ने मचाई थी तबाही
Lal Bahadur Shastri 2019: आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) का जन्म दिन भी 2 अक्टूबर (2 October) को मनाया जाता है।

Lal bahadur shastri jayanti day: भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आज जन्मदिन है। 16 साल की उम्र से हिंदुस्तान की आजादी के संग्राम में कूदने वाले शास्त्री जी जब आजाद हिंदुस्तान में दूसरे प्रधानमंत्री बने तो एक बार उन्होंने पाकिस्तान को लेकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि भारत में बारे में सबसे खास चीज है कि यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी और अन्य धर्मों के लोग हैं। यहां मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे चर्च सभी कुछ है। बस यही अंतर भारत और पाकिस्तान में है। यहां उनके जीवन के कुछ तथ्य और उपाख्यान हैं जो उन सिद्धांतों का अनुकरण करते हैं, जिनके द्वारा वे रहते थे। यहां से आप जान सकते हैं जरूरी बातें-
आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) का जन्म दिन भी 2 अक्टूबर (2 October) को मनाया जाता है। लाल बहादुर शास्त्री का जीवन हर उस नौजवान के लिए प्रेरणा का प्रतीक है जो अभावों में जी रहा है। कैसे कम सुविधाओं के बीच भी पढ़ाई पूरी की और देश के प्रधानमंत्री बने। शास्त्री जी ने अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया था। शास्त्री जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था।
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Highlights
1962 में जब भारत चीन से युद्ध हार गया था तो पाकिस्तान ने हिमाकत शुरू कर दी। पाकिस्तान की अय्यूब खान सरकार ने 1965 में चुपचाप युद्ध का ऐलान कर दिया।ऑपरेशन जिब्राल्टर छेड़ दिया और भारतीय सेना की कम्युनिकेशन लाइन को नष्ट करने के लिए कश्मीर में हजारों सैनिक भेज दिए। पर उस समय शास्त्री जी ने भारतीय सेना को आदेश दिया और भारतीय सेना पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार कर गई। सेना ने पाकिस्तान में घुसकर सेना पर दो तरफा हमला कर दिया।
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने हिन्दुस्तान की आजादी में अहम योगदान दिया। इसके बाद भारत को सशक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में भी अहम भूमिका निभाई। वह देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट में मंत्री थे। रेलवे और गृह मंत्रालय जैसे बड़े विभाग को संभाला। आपको बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को हुआ। पहले उनका नाम लाल बहादुर वर्मा था। लेकिन काशी विद्यापीठ से स्नातक करने के बाद इन्हें शास्त्री उपाधि मिली। इसके बाद से इन्होंने अपने नाम से वर्मा जाति हटा लिया।
हिंदुस्तान में लाल बहादुर शास्त्री की वजह से ही सफेद और हरित क्रांति आई। शास्त्री जी हरित आंदोलन से पूरी तरह जुड़े हुए थे। उन्होंने अपने आवास के लॉन में भी खेती शुरू कर दी थी। उन्हें जितना जवान पसंद थे, उतने ही किसान भी पसंद थे। इसी कारण उन्होंने जय जवान, जय किसान का नारा दिया।
लाल बहादुर शास्त्री की राजनीतिक राय हमेशा आम जनता के लिए ही रहती थी। उन्होंने एक बार कहा था, 'जो शासन करते हैं उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं। अंतत: जनता ही मुखिया होती है।'
लाल बहादुर शास्त्री जी महात्मा गांधी को गुरु मानते थे। एक बार उन्होंने कहा था – 'मेहनत प्रार्थना करने के समान है.' शास्त्री जी महात्मा गांधी के समान ही विचार रखते थे। वह बापू की सोच से बेहद प्रभावित थे।
1964 में जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने तो उसके अगले ही साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। देश में भयंकर सूखा भी पड़ा। वित्तीय संकट को टालने के लिए उन्होंने देशवासियों से एक दिन के उपवास की अपील की। वो शास्त्री जी की छवि ऐसी थी कि पूरे देश ने उनके इस फैसले का मान रखा। इसी मौके पर उन्होंने देश की कृषि आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए नारा दिया, 'जय जवान जय किसान'।
दो अक्टूबर, 1904 को जन्मे शास्त्री जी जब 8 महीने के थे तभी उनके पिता शारदा प्रसाद का निधन हो गया था। इसके बाद इनकी मां रामदुलारी देवी ने ही इनका पालन पोषण किया। 16 साल की उम्र में ही सन 1920 में शास्त्री जी (Shastri) आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे। शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था।
लाल बहादुर शास्त्री अपने चाचा के यहां उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए गए थे। पर वे नंगे पांव ही कई मील की दूरी पर स्थित स्कूल जाया करते थे। उस भीषण गर्मी में सड़कें तक गर्मी पिघल जाया करती थीं लेकिन शास्त्री जी का पढ़ाई के प्रति जुनून अदम्य था।
लाल बहादुर शास्त्री अपने परिवार में सबसे छोटे थे इस कारण उन्हें सभी प्यार से 'नन्हे' बुलाता था। मात्र 18 महीने के जब लाल बहादुर हुए तो उनके पिता का निधन हो गया। ननिहाल पक्ष के सहयोग से उनकी परिवरिश हुई और उन्हें मां का बहुत सहयोग मिला। यहीं उन्होंने प्राथमिक शिक्षा ली। इसके बाद की पढ़ाई उन्होंने हरिश्चन्द्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ में की। काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलने के बाद उन्होंने अपने नाम से जातिसूचक शब्द श्रीवास्तव हमेशा के लिए हटा लिया और नाम के आगे शास्त्री लगा लिया।
हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है लोगो में एकता स्थापित करना।- लालबहादुर शास्त्री
उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को जन्मे शास्त्री जी का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। एक गरीब परिवार से निकलकर और सबसे बड़े लोकतंत्र का कुशल नेतृत्व कर शास्त्री जी ने दुनिया को इतना तो जता दिया कि अगर इंसान के अंदर आत्मविश्वास हो तो वो कोई भी मंजिल पा सकता है।
देश की तरक्की के लिए हमे आपस में लड़ने के बजाये गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा।- लालबहादुर शास्त्री
हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है लोगो में एकता स्थापित करना।- लाल बहादुर शास्त्री
हम खुद के के लिए ही नही बल्कि पूरे विश्व की शांति, विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं।- लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर काशी विद्या पीठ में शामिल हुए. विद्या पीठ की ओर से उन्हें दी गई प्रदत्त स्नातक की डिग्री का नाम ‘शास्त्री' था, और यही नाम आगे उनके नाम के साथ जुड़ गया और उनका पूरा नाम लाल बहादुर शास्त्री हो गया ।
यदि कोई भी व्यक्ति हमारे देश में अछूत कहा जाता है तो भारत को अपना सिर शर्म से झुकाना पड़ेगा।- लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री ने कहा था, ''जो शासन करते हैं उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं. अंतत: जनता ही मुखिया होती है.''
ईमानदारी हमेशा सबसे अच्छी नीति थी- चूंकि बच्चों को उनके पिता के प्रधानमंत्री होने पर स्कूल जाने के लिए आधिकारिक कार का उपयोग करने की अनुमति शायद ही थी, इसलिए परिवार ने रुपये के लिए फिएट कार खरीदने का फैसला किया। 12,000 रुपये के लिए एक बैंक ऋण 5,000 लिया गया था, जिसे शास्त्री की विधवा को उनकी आकस्मिक मृत्यु के बाद, उनकी पेंशन से दिया था।
एक दयालु, अग्रगामी सोच रखने वाले नेता- उन्होंने अपने श्रेय के लिए कई अग्रणी पहल की थीं, जैसे कि लाठीचार्ज के बजाय भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वाटर जेट का इस्तेमाल करना और महिलाओं को सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं में कंडक्टर के रूप में नियुक्त किया जाना संभव बना दिया। उन्होंने 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान "जय जवान, जय किसान का नारा भी उठाया और भारत की खाद्य आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त किया।"
सादा जीवन, उच्च विचार- 1928 में जब उन्होंने दहेज लेने के लिए अपने ससुराल वालों के आग्रह पर शादी की, तो उन्होंने चरखा और कुछ खादी का कपड़ा लिया। यहां तक कि जब उनका निधन हो गया, तब भी कथित तौर पर उनके नाम पर कोई संपत्ति नहीं थी और उन्होंने कुछ पुस्तकों और धोती-कुर्ता को पीछे छोड़ दिया। एक बच्चे के रूप में, शास्त्री एक नाव की सवारी के लिए भुगतान करने के लिए अपने गरीब परिवार के पैसे बचाने के लिए स्कूल पहुंचने के लिए नदी के उस पार झूलते हैं।
छोटी उम्र से देशभक्ति- एक देशभक्त युवा लड़के के रूप में, वे महात्मा गांधी से प्रेरित थे और 16 वर्ष की आयु में असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए उनका आह्वान किया। 1964 में अपने पहले स्वतंत्रता दिवस के भाषण में, शास्त्री ने युवाओं से नैतिक शक्ति और चरित्र का प्रयास करने के लिए कहा। "मैं अपने जवानों से खुद को अनुशासन में रखने और राष्ट्र की एकता और उन्नति के लिए काम करने की अपील करता हूं।"
जाति व्यवस्था के खिलाफ विरोध किया- चूंकि उन्हें जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं था, इसलिए उन्होंने एक युवा स्कूली छात्र के रूप में अपना उप-नाम छोड़ दिया। "शास्त्री" की उपाधि उन्हें काशी विद्यापीठ से स्नातक करने पर दी गई थी, जो विद्वानों की उपलब्धि के निशान के रूप में थी।