23 अगस्त और 24 अगस्त को देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। स्कूलों में भी कार्यक्रम हो रहे हैं। कई अन्य जगहों पर भी कृष्ण लीला के मंचन की तैयारी चल रही है। बाल गोपाल का मंचन, कृष्ण के माखन चोर की अदाकारी ये स्टेज परफार्मेंस के फेवरेट माने जाते हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि अगर आपको स्पीच देनी है, निबंध लिखना है या स्टेज परफार्मेंस के लिए स्क्रिप्ट चाहिए तो आप हमारे लाइव ब्लॉग से इसकी तैयारी कर सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध/स्पीच
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन को पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को लोग भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं। इस पर्व को रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण वासुदेव और देवकी के 8वें पुत्र थे। मथुरा में एक राजा हुआ करता था जिसका नाम कंस था। राजा कंस एक बहुत अत्याचारी इंसान था। उसके अत्याचार से हर कोई परेशान रहता था और वह दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे था।
शास्त्रों की मानें तो भगवान कृष्ण रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि को पैदा हुए थे। इस दिन चंद्रमा वृष राशि और सूर्य सिंह राशि में प्रवेश किए हुए था। ऐसे में इस काल पर श्री कृष्ण के जन्म की खुशी मनाई जाती है। ऐसे में कृष्ण भक्त भगवान के लिए मंगल गान गाते हैं। उन्हें भोग लगाने से पहले माखन मिश्री खिलाते हैं। फिर यही प्रसाद भक्तों को बांटा जाता है।
द्वापर युग में जब राक्षसों का आतंक बढ़ गया था तो भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में धरती पर जन्म लिया। उनका जन्म भी बेहद रोचक किस्से जैसा है। देवकी और वासुदेव को मथुरा के अहंकारी राजा कंस ने सिर्फ इसलिए जेल में डाल दिया था क्योंकि उसके लिए ये भविष्यवाणी की गई थी कि उसकी बहन देवकी के कोख से जन्म लेने वाली संतान ही कंस का नाश करेगी।
बस इसी डर के कारण कंस ने देवकी और वासुदेव को जेल में ही बंद कर दिया था और उनसे जन्म लेने वाली हर संतान को वह मार देता था। लेकिन जब कृष्ण का जन्म होने वाला था तो जेल के सभी प्रहरी घोर निद्रा में चले गए और आसमान में भारी बारिश होने लगी। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जब कान्हा का जन्म हुआ तो वासुदेव उन्हें कंस से बचाने के लिए एक सूप में लेकर गोकुल में मित्र नंद और यशोदा को सौंप आए। बस यही थी कृष्ण के पैदा होने की कहानी। उसी दिन से कृष्ण के जन्म को जन्माष्टमी के तौर पर पूरी दुनिया मनाती है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्व है. यह हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था। देश के सभी राज्य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते हैं।
जन्माष्टमी के मौके पर स्कूलों में बच्चे निबंध बोलते हैं। इसके लिए उनके माता-पिता से लेकर उनके अध्यापक तक निबंध की तैयारी करवाते हैं। कई तो अपने मन से निबंध लिखवाते हैं तो वहीं कई लोग ऐसे भी होते हैं जो सोशल मीडिया के जरिए अपने बच्चों को जन्माष्टमी के पर्व पर निबंध तैयार करवाते हैं।
लोग उलझन में हैं कि जन्माष्टमी 23 अगस्त या फिर 24 अगस्त को मनाई जाए। दरअसल, मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। अगर अष्टमी तिथि के हिसाब से देखें तो 23 अगस्त को जन्माष्टमी होनी चाहिए, लेकिन अगर रोहिणी नक्षत्र को मानें तो फिर 24 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी होनी चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन को पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को लोग भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं। इस पर्व को रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण वासुदेव और देवकी के 8वें पुत्र थे। मथुरा में एक राजा हुआ करता था जिसका नाम कंस था। राजा कंस एक बहुत अत्याचारी इंसान था। उसके अत्याचार से हर कोई परेशान रहता था और वह दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे था।
जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। लोग इस पर्व को पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। जन्माष्टमी के पर्व को ना सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय भी पूरे उल्लास से मनाते हैं। भगवान कृष्ण अपनी नटखट हरकतों से लोगों के दिल में बसते हैं।
जन्माष्टमी (Janmashtami) हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार नटखट नंदलाल यानी कि श्रीकृष्ण के जन्मदिन को श्रीकृष्ण जयंती (Shri Krishna Jayanti) या जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। हालांकि इस बार कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) की तारीख को लेकर लोगों में काफी असमंजस में हैं।