मानस मनोहर
त्योहारों की तैयारियां अब बहुत आसान हो गई हैं। हर चीज बाजार में मिल जाती है। मेहमानों के स्वागत के लिए बाजार से डिब्बाबंद चीजें लाओ और झंझटों से बच जाओ। मगर हर त्योहार के कुछ पारंपरिक व्यंजन होते हैं, जो घर में ही बनाए जाएं, तो उनका आनंद आता है। होली नजदीक है, सप्ताह के बीच में। इसलिए भी कई लोगों के लिए इसकी तैयारी का समय नहीं मिलेगा। मगर फिर भी कुछ पारंपरिक व्यंजन आसानी से घर में बनाए जा सकते हैं।
कांजी वड़े
पहले घरों में होली के पकवान तैयार करने के लिए कई दिन पहले से तैयारियां शुरू हो जाती थीं। पापड़ और चिप्स बनाए जाते थे। मिठाइयों और गुझिया की तैयारी की जाती थी। मालपुए बनते थे। दही वड़े और दही-बताशे बनाए जाते थे। अब ये सारी चीजें बाजार में मिल जाती हैं। बहुत सारे कामकाजी परिवारों में इन सब चीजों को बनाने का वक्त भी नहीं होता।
अब तो गांवों में भी महिलाएं ये सब चीजें बनाने का तरीका भूलती जा रही हैं। ऐसे में उन्हें सबसे आसान यही लगता है कि जब सारी चीजें बाजार में मिल ही जाती हैं, तो क्यों इन्हें बनाने की झंझट में पड़ें। मगर अब भी कई पारंपरिक व्यंजन बाजार में नहीं मिल पाते। उन्हें घर पर ही बनाना पड़ता है। यही ठीक भी है।
कांजी वड़े भी होली के पारंपरिक व्यंजनों में शामिल हैं। कांजी वड़े इस मौसम के हिसाब से पाचन के लिए बहुत उपयुक्त व्यंजन है। वैसे भी होली वाले दिन मिठाई, गुझिया, पकौड़े वगैरह खाकर पेट पर बहुत बोझ डाल लिया जाता है। ऐसे में अगर कांजी वड़े पी लें, तो गरिष्ठ भोजन को पचाने में बहुत आसानी होती है। यह और कुछ नहीं,एक प्रकार से पेट के लिए गुणकारी बैक्टीरिया वाला पानी होता है। इसका खट्टा, चरपरा और नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लगता है।
कांजी वड़े बनाना बहुत आसान है। इसके लिए दो दिन पहले से तैयारी करनी पड़ती है। इसलिए इसे आज ही बना कर रख दें, होली वाले दिन बिल्कुल पीने लायक होगा। इसके लिए ज्यादा तैयारी करने की भी जरूरत नहीं होती। बहुत कौशल की भी जरूरत नहीं। इसकी मुख्य सामग्री होती है पीली सरसों, यानी राई।
इसके अलावा थोड़ा काला नमक, थोड़ा रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाला नमक, कुटी लाल मिर्च और हींग। यह तो हो गई कांजी की सामग्री। इसमें वड़े डालने से इसका स्वाद और बढ़ जाता है। कई लोग कांजी में गाजर की पतली फांकें भी डालते हैं। आप चाहें तो एक-दो गाजर छील और धो कर उनकी पतली फांकें काट कर इसमें डाल सकते हैं। वड़े इसमें मूंगदाल के ही डालें, तो अच्छा रहता है।
कांजी बनाने के लिए दो लीटर पानी की मात्रा में करीब दो से ढाई चम्मच पिसी पीली सरसों, एक चम्मच कुटी लाल मिर्च, आधा चम्मच काला नमक, आधा चम्मच सफेद नमक और आधा चम्मच हींग का पाउडर लें। अगर कांजी की मात्रा अधिक रखनी है, तो इसी अनुपात में सारी सामग्री बढ़ा लें। एक मर्तबान या कांच के बरतन में पानी लेकर इन सारी चीजों को डालें और अच्छी तरह मिला लें।
मर्तबान के ऊपर कपड़ा बांध दें। ढक्कन न लगाएं। इस मर्तबान को बाहर धूप में रख दें। दिन में जब भी मौका मिले, चम्मच से पानी को चलाएं और कपड़ा बांध दें। अगर समय नहीं है, तो सुबह और शाम को जरूर चम्मच से हिलाएं। यह प्रक्रिया दो दिन तक जारी रखें। कांजी में राई का खट्टापन उतर आएगा। अगर गाजर डालनी है, तो घोल बनाने के साथ ही उसकी फांकें डाल दें।
वड़े आप होली वाले दिन सुबह या एक दिन पहले रात को बना सकते हैं। इसके लिए एक कटोरी मूंगदाल को पांच-छह घंटे पहले भिगो कर रख दें। फिर पानी निकाल कर मिक्सर में अच्छी तरह पीसें और उसमें जरूरत भर का नमक और चौथाई चम्मच हींग डाल कर मिलाएं और आधे घंटे के लिए छोड़ दें। फिर कड़ाही में तलने के लिए तेल गरम करें और छोटे-छोटे वड़े तल लें।
कड़ाही से निकाल कर वड़ों को गुनगुने पानी में डालें और छोड़ दें। घंटे भर बाद उन्हें पानी से निकालें, हथेलियों पर दबाकर नीचोड़ें और कांजी में डाल दें। जब भी कांजी परोसें, गिलास में एक-दो वड़े और गाजर की फांकें भी डाल दें। होली के दिन और बाद में भी इसे पीएं, हाजमा दुरुस्त रहेगा।
मालपुए
मालपुए तो होली की पहचान हैं। बाजार से चाहे जितनी मिठाई लाएं, पर मालपुए के सामने सबका आकर्षण होली वाले दिन फीका पड़ जाता है। इसलिए इस दिन मालपुए जरूर बनाएं। मालपुए बनाना बहुत आसान है। इसे बनाने का तरीका सब जगह लगभग एक जैसा है। परोसते समय जरूर कुछ लोग इसके ऊपर गाढ़ा दूध यानी राबड़ी डालते हैं, तो कुछ जगह इसे चीनी की चाशनी में डुबोते हैं। ज्यादातर जगहों पर मालपुआ कटहल की सब्जी के साथ परोसा जाता है। जैसा आपको पसंद हो, वैसा करें। मगर मालपुआ बनाएं अवश्य।
मालपुआ बनाने के लिए रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाले आटे का उपयोग करें। वैसे कई लोग मैदे का उपयोग करते हैं। दो कप आटा ले रहे हैं, तो इसमें आधा कप चीनी की जरूरत पड़ेगी। चीनी को पानी में उबाल कर अच्छी तरह पिघला लें। दो कप आटे के लिए तीन से चार कप पानी पर्याप्त रहता है। चीनी का घोल तैयार कर ठंडा होने दें।
फिर इसमें डालने के लिए बादाम, किशमिश और कुछ सूखे नारियल के बारीक टुकड़े ले सकते हैं। अपने हिसाब से यह मात्रा घटा-बढ़ा सकते हैं। आटे में मेवे डालें और चीनी का घोल डाल कर चलाते हुए गाढ़ा घोल तैयार करें। घोल बहुत पतला नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसे तेल में तलना है। घोल बना कर रात भर के लिए रख दें, ताकि उसमें खमीर उठ जाए।
अगले दिन कड़ाही में तलने के लिए तेल गरम करें। घोल को एक बार फिर फेटें और फिर एक कलछी बराबर घोल डाल कर दोनों तरफ से बादामी रंग आने तक सेंक कर पुए बना लें। इस तरह सारे घोल से पुए तैयार करें। इन्हें चाहें तो एक तार की चाशनी में डुबो सकते हैं। ऊपर से पिस्ता का चूरा डाल कर सजाएं और परोसें।