साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ऐन पहले बीएसपी में गुटबाजी की खबरें सामने आई थीं। इन खबरों को तब और बल मिला जब बीएसपी के पूर्व सांसद और कभी मायावती के करीबी रहे प्रमोद कुरील ने पार्टी के कई अन्य नेताओं को अपने साथ मिला लिया था। दरअसल, प्रमोद कुरील ने साल 2012 में मायावती पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। जिनमें से एक कांशीराम की मौत की खबर छिपाने का आरोप भी था। इसके बाद पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
तब प्रमोद ने आरोप लगाते हुए कहा था, मायावती ने कांशीराम की मौत के एक दिन बाद ऐलान किया था कि वह अब इस दुनिया में नहीं रहे। कांशीराम ने दलितों को उनका हक दिलाने के लिए ‘बामसेफ’ की शुरुआत की थी, लेकिन मायावती ने इसे खत्म कर दिया।
इसके बाद, प्रमोद कुरील ने 2017 में चुनाव से ऐन पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मायावती के करीबियों पर अपनी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। कुरील ने दिल्ली पुलिस से भी मदद की गुहार लगाई थी। अपनी शिकायत में कहा था कि उनकी हत्या करने का प्रयास किया जा रहा है।
पत्नी को मिली थी जान से मारने की धमकी: बकौल प्रमोद, मैंने पार्टी की गलत नीतियों का विरोध किया था, इसलिए मुझे खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कुछ लोगों का नाम लेते हुए कहा था कि वे उनके दिल्ली स्थित ऑफिस आए थे। उनका मकसद मेरी और मेरी पत्नी की हत्या करना था।
बता दें, प्रमोद कुरील एक वक्त में बीएसपी के ताकतवर नेताओं में शुमार थे। उन्हें मायावती का करीबी माना जाता था यही वजह थी कि वह 2010-2012 तक बीएसपी के समर्थन से राज्यसभा पहुंच थे। हालांकि पार्टी के खिलाफ बगावत करने के कारण उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। बाद में प्रमोद ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को भी अपने खेमे में शामिल कर लिया था।