Pollution and Fertility: राजधानी दिल्ली समेत आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण काफी बढ़ गया है। दिवाली के बाद पंजाब-हरियाणा जैसे राज्यों में पराली जलाए जाने के कारण हवा की गुणवत्ता काफी प्रभावित हुई है। खराब हवा के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है तो वहीं कई गंभीर बीमारियों के होने का खतरा भी बढ़ गया है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रदूषण प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है? Nova IVF Fertility Centre की आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ रत्ना सक्सेना ने इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि कई शोध में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि बढ़े हुए वायु प्रदूषण के स्तर का प्रजनन क्षमता पर गहरा असर पड़ता है, हालांकि अधिकतर मामलों में महिलों के अधिक उम्र को इससे जोड़कर देखा जाता है।
उन्होंने बताया कि बिगड़ती हुई वायु गुणवत्ता के कारण गर्भ धारण करने वाले कपल्स में यौन रुचि में गिरावट देखने को मिल रही है। मिलन फर्टिलिटी हॉस्पिटल, व्हाइटफील्ड की सीनियर कंसल्टेंट डॉ शिल्पा एलूर के मुताबिक वायु प्रदूषण प्रजनन क्षमता और जन्म की प्रक्रिया को कम करता है, बच्चे के जन्म के समय के मौतों का कारण भी बनता है। उन्होंने कहा, “वायु प्रदूषण कई अध्ययनों में बांझपन, बच्चे पैदा करने में मुश्किलें, संतानों में जन्म के समय असामान्यताओं में वृद्धि और जन्म के दौरान बच्चों के मृत होने के साथ भी जुड़ा हुआ है।”
वायु प्रदूषण के कारण ऐसा क्यों होता है?
डॉक्टर रत्ना सक्सेना ने चेन्नई और उसके आस-पास के जिलों में वर्ष 2018 में 1285 गर्भवती महिलाओं पर हुए एक अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि PM 2.5 में प्रति 10-g/m3 की बढ़ोतरी के कारण जन्म के समय बच्चे के वजन में 4 ग्राम तक की कमी हो सकती है। उन्होंने आगे बताया कि अन्य शोध भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि खराब गुणवत्ता वाली हवा में सांस लेने से प्रजनन के अन्य पहलुओं का खतरा बढ़ जाता है, जैसे कि समय से पहले जन्म और जन्म के समय कम वजन हो सकते हैं। इसके अलावा पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAH), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) के लिए प्रसवकालीन जोखिम बच्चों के न्यूरोसाइकोलॉजिकल विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
प्रदूषण के साथ धूम्रपान भी शुक्राणुओं को करता है कम
स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ लवली जेठवानी ने जनसत्ता डॉट कॉम को बताया कि जब हम हवा की खराब गुणवत्ता के कारण सांस लेते हैं, तो हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन के साथ हमारे अंदर प्रवेश कर जाता है। यह पुरुषों के शुक्राणुओं के लिए हानिकारक है। प्रदूषण न केवल कम शुक्राणुओं की संख्या के लिए जिम्मेदार है, इसके अलावा व्यक्ति को सिगरेट शराब से भी दूर रहना चाहिए।
इस तरह से प्रजजन क्षमता को कर सकते हैं बेहतर
डॉक्टर सक्सेना ने बताया कि हम सभी को अपनी स्लीप साइकिल को दुरुस्त करने की आवश्यकता है। नींद प्रजनन क्षमता का एक महत्वपूर्ण कारक है क्योंकि यह शरीर को कई कोशिकाओं को पुन: उत्पन्न करने की अनुमति देता है जबकि हार्मोन परिवर्तनों की लय को भी नियंत्रित करता है। इसके अलावा, नींद डार्क मेलाटोनिन का उत्पादन करती है, जो पूरे शरीर की प्रणाली को लाभ पहुंचा सकती है। इसके अलावा स्वस्थ्य जीवनशैली को अपनाकर प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाया जा सकता है। अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए प्रतिदिन व्यायाम करें, संरक्षित खाद्य पदार्थों से बचें, एक संतुलित आहार खाएं, शराब या तंबाकू जैसे पदार्थों के सेवन से भी बचना चाहिए।