डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिनके मरीजों की संख्या देश और दुनिया में बढ़ती जा रही है। हमारे देश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा है कि भारत को डायबिटीज की राजधानी कहा जाता है। हमारे देश में करीब 80 मिलियन लोग इस मेटाबॉलिज्म रोग के साथ जी रहे हैं। माना जा रहा है कि 2045 तक मधुमेह वाले लोगों की संख्या बढ़कर 135 मिलियन हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ (आईडीएफ) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया है कि 2019 के बाद से डायबिटीज के मरीजों की संख्या में 16% का इज़ाफ़ा हुआ है।
भारत में 40 मिलियन वयस्कों में बिगड़ा हुआ है ग्लूकोज टॉलरेंस:
आईडीएफ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में 40 मिलियन वयस्कों में ग्लूकोज टॉलरेंस (आईजीटी)बिगड़ा हुआ है जिसका अर्थ है कि इन युवाओं को भविष्य में डायबिटीज की बीमारी का खतरा अधिक है। भारत में मधुमेह से पीड़ित आधे से अधिक (53.1%) लोग इस बीमारी का इलाज कराए बिना जी रहे हैं। अगर इस बीमारी का लम्बे समय तक इलाज नहीं कराया जाए तो दिल का दौरा,स्ट्रोक,किडनी खराब होने, आंखों की रोशनी कम होने और निचले अंगों में खराबी होने के जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।
डायबिटीज के मरीजों के लिए जरूरी हैं कि वो अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल करें वरना बीमारियों की लिस्ट लम्बी हो सकती है। आइए जानते हैं कि डायबिटीज को कंट्रोल नहीं किया जाए तो कौन-कौन सी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है:
डायबिटीज की बीमारी दिल के रोगों का जोखिम बढ़ा सकती है। डायबिटीज का बढ़ा हुआ स्तर हृदय को नियंत्रित करने वाली रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। डायबिटीज की वजह से हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और दिल के रोगों का जोखिम अधिक रहता है।
किडनी की बीमारी का खतरा बढ़ा देती है बड़ी हुई शुगर:
डायबिटीज के मरीजों को किडनी की बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है। अक्सर लोग किडनी की बीमारियों के संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं। जब तक लक्षण गंभीर होते हैं तब तक यह बीमारी जानलेवा स्थिति में पहुंच चुकी होती है। किडनी की बीमारी आमतौर पर डायबिटीज की वजह से ही होती है।
नर्व डैमेज होने का खतरा अधिक रहता है:
डायबिटीज की वजह से डायबिटीज न्यूरोपैथी नामक स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसे में हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। नर्व डैमेज होने के कारण ये शरीर के अंगों को संकेत भेजना बंद कर देती हैं और इसलिए शरीर के अंगों के कामकाज को ख़राब कर देती हैं। डायबिटिक न्यूरोपैथी के सबसे आम प्रभावों में से एक रेटिनोपैथी है।
डिप्रेशन की बीमारी हो सकती है:
मधुमेह और डिप्रेशन की बीमारी एक- दूसरे से जुड़ी हुई है। डायबिटीज की बीमारी बॉडी की हेल्थ पर भारी पड़ती है और तनाव को बढ़ाती है। कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि डायबिटीज मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।