ज्यादातर लोग हेल्दी ब्यूटी रूटीन को फॉलो करने से यही मतलब निकालते हैं कि उन्होंने चेहरे पर क्लींजिंग, टोनिंग और मॉइश्चराइजिंग क्रीम का इस्तेमाल करके अपनी स्किन की धूल- मिट्टी, धूप और सूरज की हानिकारक किरणों से हिफाजत कर ली। लेकिन आप जानते हैं कि सिर्फ कुछ ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदकर लगाने से आपकी स्किन की केयर नहीं होती जबतक आप उस प्रोडक्ट के बारे में ठीक से नहीं समझे और उसके इस्तेमाल करने का तरीका नहीं जानें। किसी भी प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने से पहले ये जानना जरूरी है कि ये प्रोडक्ट हमारी स्किन पर काम कैसे करता है।
किसी भी प्रोडक्ट को समझे बिना उसका स्किन और बालों पर इस्तेमाल आपको गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। मेडिकल-साइंटिफिक डिपार्टमेंट सेबमेड के प्रमुख डॉ माइकेला एरेन्स कोरेल ने बताया है कि पर्सनल केयर रूटीन में कुछ मिथक है जिन्हें दूर करने की बेहद जरूरत है।
मिथक-1: तैलीय स्किन को मॉइस्चराइजर की जरूरत नहीं होती
सभी प्रकार की स्किन चाहे ड्राई हो या सॉफ्ट या फिर मॉडरेट स्किन हो सभी को मॉइस्चराइज़ करने की जरूरत होती है। ऑयली स्किन डिहाइड्रेटिड हो जाती है इसलिए उसपर सही मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल करना जरूरी है। स्किन को मॉइश्चराइजर करने के लिए सही पीएच वाला साबुन का इस्तेमाल करना जरूरी है। इससे स्किन को मॉइश्चराइज रखना आसान होता है।
नॉर्मल स्किन के लिए पीएच लेवल 5.5 होता है जो स्किन को कोमल और चिकनी बनाता है। ये साबुन स्किन को सूखापन, जलन और संक्रमण से बचाता है।
मिथक 2: रोजाना बाल धोने से बाल झड़ते हैं
बालों के झड़ने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें उम्र, दवा के दुष्प्रभाव, बीमारी, तनाव, स्कैल्प फंगस, बालों का रंग, वंशानुगत पैटर्न गंजापन आदि शामिल हैं। बालों के झड़ने का कारण रोजाना बालों को वॉश करना नहीं है, बल्कि शैम्पू में मौजूद कैमिकल हैं जो आपकी स्कैल्प और बालों दोनों पर प्रभाव डालते हैं। ये कैमिकल बालों को नुकसान पहुंचाते हैं साथ ही बालों को ड्राई भी करते हैं।
मिथक 3: एक अच्छा शैम्पू आपको बहुत झाग देता है
जरूरी नहीं कि सही शैम्पू का मतलब वह हो जो अच्छा झाग देता हो। अंतत: अच्छे या बुरे बालों का मूल कारण आपके बालों और स्कैल्प की कोशिकाओं में होता है। आपके बालों में केराटिन बालों को चिकना, मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। लेकिन बालों और स्कैल्प की कठोर सफाई से बढ़ते बालों की गुणवत्ता और संवेदनशीलता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। बड़े पैमाने पर झाग देने वाले शैंपू में बड़ी मात्रा में सर्फेक्टेंट होता है जो बालों को काफी कठोर बनाता हैं। दूसरी ओर कम झाग वाला शैंपू जिसका पीएच 5.5 है बालों और स्कैल्प दोनों को साफ और हेल्दी रखेगा।
मिथक 4: आपकी स्किन को 30 साल बाद एंटी एजिंग उत्पादों की जरूरत होती है
झुर्रियों और उम्र को बेहतर तरीके से रोकने के लिए यह एक आम धारणा है कि 30 साल बाद एंटी एजिंग प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें, लेकिन साबुन का इस्तेमाल करते समय हम ये क्यों नहीं सोचते कि इसका भी हमारी स्किन पर प्रभाव पड़ता है। साबुन वास्तव में स्किन को शुष्क और पीला बना सकता हैं। ऐसे साबुन से स्किन डिहाईड्रेट हो सकती है और स्किन पर मुहांसे आ सकते हैं।