अगर आपके बच्चे को भी देर रात तक फोन चलाने की आदत है तो सावधान हो जाएं, यह आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिय खतरनाक हो सकता है। रात को लंबे समय तक फोन चलाना आपके और आपके बच्चे दोनों के सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
देर रात तक फोन चलाना आपके आंखों के साथ ही मेंटल हेल्थ के लिए भी नुकसानदेह है। स्मार्टफोन की लत को नोमोफोबिया कहा जाता है। नोमोफोबिया के शिकार व्यक्ति का मस्तिष्क लगातार असामान्य ढंग से सक्रिय रहता है। गैजेट्स मस्तिष्क के ग्रेमैटर डेंसिटी को को कम करता है, जो पहचानने और भावनात्मक नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है। इसी वजह से बच्चे कई बार गलत कदम उठा लेते हैं।
आंखों से संबंधित बढ़ जाती हैं परेशानी: अधिक समय या देर रात तक फोन चलाने से आंखों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। 2 घंटे तक चेहरे पर मोबाइल की रोशनी पड़ने से 22% तक मेलाटोनिन कम हो जाता है। अइससे रेटिना पर असर पड़ता है और आंखों की रोशनी कमजोर होती है।
देर रात तक मोबाइल चलाने से ग्लूकोमा का खतरा भी बढ़ जाता है। अमेरिकी विजन काउंसिल के अनुसार 70 फीसदी लोग मोबाइल देखते समय आंखें सिकोड़ते हैं। इससे विजन सिंड्रोम का खतरा बढ़ सकता है।
ब्रेन हेल्थ के लिए नुकसानदेह: देर रात तक फोन का इस्तेमाल करने से हमारे दिमाग पर गंभीर असर पड़ता है। अधिक समय तक फोन चलाने से बच्चों की यदाश्त कमजोर हो सकती है। इससे कई तरह की समस्याओं का खतरा भी बढ़ सकता है क्योंकि, ये आदत दिमाग को कमजोर बनाती है।
बच्चों में चिड़चिड़ापन: देर रात तक मोबाइल चलाने के कारण मेलाटोनिन नामक हार्मोन का लेवल कम हो जाता है। इसकी वजह से स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है जिसके कारण भी बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं। इसके अलावा लगातार फोन का उपयोग करने पर कंधे और गर्दन झुके रहते हैं। झुकी गर्दन की वजह से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होने लगती है। झुकी गर्दन की वजह से गहरी सांस लेने में समस्या होती है। इसका सीधा असर फेफड़ों पर पड़ता है।
बच्चों को फोन देते समय इन बातों का रखें ध्यान-
- स्मार्टफोन चलाते समय बच्चे पलकें कम झपकाते हैं। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते हैं। माता-पिता ध्यान दें कि स्क्रीन का सामना आधा घंटे से अधिक न हो। कोशिश करें कि एक दिन में तीन घंटे से अधिक कंप्यूटर का उपयोग न करें।
- सोने से 30 मिनट पहले बच्चों को किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का उपयोग न करने दें।
- कम उम्र में स्मार्टफोन की लत की वजह बच्चों का सामाजिक विकास नहीं हो पता, इसलिए आजकल बच्चों को फोन से जितना हो सके उतनी दूरी बनाने को कहें।
- फोन के मामले में बच्चों से भावनात्मक न हों। जिद के करने पर फोन न दें। स्मार्टफोन देने के लिए ऑड इवेन का फार्मूला अपनाएं।
- इंटरनेट पर ज्ञानवर्धक कंटेन्ट ही दिखाएं, और उसके लिए समय तय करें और साथ बैठकर देखें।