Wrestlers Protest Ends: दिल्ली के जंतर-मंतर पर 18 जनवरी 2023 से प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने सरकार से उनकी शिकायतों का समाधान करने का आश्वासन मिलने के बाद शुक्रवार 20 जनवरी की देर रात अपना धरना समाप्त कर दिया। उनकी शिकायतों के समाधान के पहले कदम के तहत निशाने पर आए भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है।
केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ दूसरे दौर की वार्ता में गतिरोध दूर होने पर विनेश फोगाट, बंजरग पुनिया, साक्षी मलिक और रवि दहिया सहित अन्य पहलवानों ने अपना धरना समाप्त करने का फैसला किया। पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ और उसके अध्यक्ष के खिलाफ यौन उत्पीड़न और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।
4 सप्ताह में जांच करेगी समिति
पहलवानों की अनुराग ठाकुर के साथ उनके आवास पर बैठक हुई। बैठक करीब 5 घंटे तक चली। बैठक के बाद खेल मंत्री ने बताया, ‘एक निगरानी समिति बनाने का फैसला किया गया है, जिसके सदस्यों के नामों की घोषणा शनिवार 21 जनवरी को की जाएगी। समिति चार हफ्ते में जांच पूरी करेगी। वह डब्ल्यूएफआई और इसके अध्यक्ष के खिलाफ वित्तीय या यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों की गंभीरता से जांच करेगी। जांच पूरी होने तक बृजभूषण शरण सिंह भारतीय कुश्ती संघ से अलग रहेंगे और जांच में सहयोग करेंगे, जबकि डब्ल्यूएफआई के रोजमर्रा के काम को निगरानी समिति देखेगी।’
हम धरने पर नहीं बैठना चाहते थे, लेकिन पानी सिर से ऊपर चला गया था: बजरंग पूनिया
बजरंग पूनिया ने कहा, खेल मंत्री ने हमारी पूरी बात सुनी और उचित जांच का आश्वासन दिया है। मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। हमें धरना खत्म कर रहे हैं, क्योंकि हमें उम्मीद है कि समिति निष्पक्ष जांच करेगी। बजरंग पूनिया ने कहा कि वे कभी भी विरोध का रास्ता नहीं अपनाना चाहते थे, लेकिन सीमा रेखा लांघने तक उन्हें परेशान किया गया।
टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले बजरंग पूनिया ने कहा, विरोध समाप्त हो गया है। हम धरने पर नहीं बैठना चाहते थे लेकिन पानी सिर से ऊपर चला गया था। सरकार ने हमें सुरक्षा और सुरक्षा का आश्वासन दिया है। पूर्व में हमें डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष ने धमकी भी दी थी। साल 2023 उनके लिए एक महत्वपूर्ण साल है, क्योंकि एशियाई खेल और ओलंपिक क्वालिफायर निकट आ रहे हैं।
पहलवानों और खेल मंत्री ने नहीं दिया मीडिया के सवालों का जवाब
हालांकि, न तो खेल मंत्री और न ही पहलवानों ने मीडिया के सवालों का जवाब दिया। इससे पहले पहलवानों ने पहले दिन में कहा था कि वे डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज कराएंगे। हालांकि, खेल मंत्री से बातचीत के बाद ऐसा नहीं किया।
इस घटनाक्रम को उन आंदोलनकारी पहलवानों की जीत कहा जा सकता है, जिन्होंने कहा था कि वे तब तक अपना ‘धरना’ जारी रखेंगे, जब तक कि डब्ल्यूएफआई (WFI) अध्यक्ष को बर्खास्त नहीं कर दिया जाता और महासंघ को भंग नहीं कर दिया जाता।
खेल मंत्रालय नहीं भंग कर सकता महासंघ
हालांकि, भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) के संविधान के तहत किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) को तब तक भंग नहीं किया जा सकता जब तक कि उसने IOA के नियमों और विनियमों का उल्लंघन नहीं किया हो या खेल के विश्व निकाय द्वारा मान्यता हासिल नहीं की गई हो।
पहलवानों ने IOA अध्यक्ष पीटी उषा से भी की थी शिकायत
इससे पहले दिन में पहलवान जांच की मांग को लेकर भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) पहुंचे। आईओए अध्यक्ष पीटी उषा को लिखे पत्र में पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई की ओर से धन के गबन का आरोप लगाया और दावा किया कि राष्ट्रीय शिविर में कोच और स्पोर्ट्स साइंस स्टाफ बिल्कुल अक्षम हैं।
पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई को भंग करने और उसके अध्यक्ष को बर्खास्त करने की अपनी मांग भी दोहराई। उन्होंने अपनी चौथी और आखिरी मांग में लिखा, ‘पहलवानों के परामर्श से डब्ल्यूएफआई के मामलों को चलाने के लिए एक नई समिति बनाई जानी चाहिए।’ इसका जवाब देते हुए, IOA ने आरोपों की जांच के लिए एमसी मैरीकॉम की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया।