ICC Under-19 Cricket World Cup 2023: दस साल पहले गोंगाडी रेड्डी को अपना जिम बंद करने और फिटनेस ट्रेनर की नौकरी छोड़ने का कड़ा फैसला लेना पड़ा था। ऐसा फैसला उन्हें अपनी इकलौती संतान गोंगडी त्रिशा के क्रिकेटर बनने के सपना पूरा करने के लिए लेना पड़ा था। गोंगडी रेड्डी का जिम तत्कालीन आंध्र प्रदेश के भद्राद्री कोठागुडेम जिले में स्थित भद्राचलम में था। गोंगडी रेड्डी खुद हॉकी प्लेयर रह चुके हैं। वह अंडर-16 हॉकी टूर्नामेंट में भारतीय हॉकी टीम के सदस्य भी रह चुके हैं।
गोंगडी रेड्डी ने बेटी के प्रशिक्षण के लिए अपना जिम बंद कर दिया और चार एकड़ खेत भी बेच दिया। रविवार 29 जनवरी 2023 को हैदराबाद की इस युवा खिलाड़ी ने 24 रन की पारी खेली और सौम्या तिवारी के साथ 46 रन की साझेदारी कर भारत की महिला अंडर-19 टीम को आईसीसी के फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ 69 रन के लक्ष्य का पीछा करने में मदद की। भारत ने महिला क्रिकेट में पहली बार आईसीसी ट्रॉफी जीती है।
सिकंदराबाद से द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में गौरवान्वित पिता ने कहा, ‘मैं फिटनेस कारोबार और नौकरी करने से पहले राज्य की अंडर-16 हॉकी टीम में खेला था। मैं हॉकी के साथ-साथ क्रिकेट भी खेलता था। मैं चाहता था कि कि मेरा बच्चा क्रिकेट खेले। त्रिशा शुरू में भद्राचलम में खेलती थी, लेकिन हमें उसके क्रिकेटर बनने के सपने को आगे बढ़ाने के लिए सिकंदराबाद में स्थानांतरित होने का निर्णय लेना पड़ा।’
गोंगडी रेड्डी ने बताया, ‘इस कारण मुझे अपना जिम एक रिश्तेदार को बाजार दर से 50 प्रतिशत से कम पर बेचना पड़ा। बाद में मैंने बेटी के प्रशिक्षण के लिए अपना 4 एकड़ खेत भी बेच दिया। भारत को U-19 विश्व कप जीतने में उसको जीतते देखना त्रिशा के जुनून का प्रतिफल है। इस तरह की जीत के लिए, मैं किसी भी नुकसान को सहन कर सकता हूं।’

आईटीसी (ITC) में काम करने और जिम (GYM) का संचालन करने के कारण गोंगडी रेड्डी अक्सर देर से घर लौटते थे। गोंगडी रेड्डी और उनकी पत्नी माधवी कोशिश करते थे कि उनकी छोटी बच्ची त्रिशा कार्टून (Cartoon) के बजाय टीवी (TV) पर क्रिकेट मैच देखे। पुराने दिनों को याद करते हुए गोंगडी कहते हैं, ‘जब त्रिशा का जन्म हुआ तो मैंने पत्नी से कहा कि जब वह टीवी देखना शुरू करेगी तो हम कार्टून के बजाय टीवी पर उसके क्रिकेट मैच दिखाएंगे।’
जी रेड्डी ने आगे बताया, ‘जब वह ढाई साल की थी तब मैंने उसे प्लास्टिक के बल्ले और गेंद से खेलाना शुरू किया। जब वह पांच साल की थी तो मैं उसे अपने साथ जिम ले जाता था और उसके सामने 300 से ज्यादा थ्रोडाउन फेंकता था। बाद में मैंने कस्बे के एक स्थानीय मैदान में सीमेंट की एक पिच बनवा दी। मेरा ज्यादातर समय नौकरी और जिम के बजाय उसे कोचिंग देने में बीतता था।’
साल 2012 में गोंगडी रेड्डी ने नेट्स में त्रिशा की बल्लेबाजी का एक वीडियो बनाया और हैदराबाद में सेंट जोंस अकादमी में कोच जॉन मनोज और श्रीनिवास को दिखाया। अकादमी के निदेशक मनोज ने बताया, ‘जब उसके पिता हमें दिखाने के लिए त्रिशा की बल्लेबाजी का वीडियो लेकर आए, तो हम उसके बल्ले की गति और हाथ की आंखों के समन्वय से प्रभावित हुए। सात साल की छोटी उम्र में इतनी गति और समन्वय होना शानदार था।’
मनोज ने बताया, ‘मैं और श्रीनिवास चाहते थे कि वह लेग स्पिनर बने। इतनी कम उम्र में खेल का तकनीकी ज्ञान होने का मतलब था कि वह लेग स्पिनर के रूप में प्रशिक्षण लेने के लिए तैयार थी। वह अनिल कुंबले की नकल करते हुए तेज और लेग ब्रेक फेंकती थी।’
सिकंदराबाद स्थानांतरित होने के दो साल के भीतर त्रिशा ने 2014-2015 सीजन में अंतर-राज्यीय टूर्नामेंट में हैदराबाद अंडर-16 टीम के लिए खेला और फिर अगले वर्ष अंडर-19 और अंडर-23 की टीम में राज्य का प्रतिनिधित्व किया। बाद में अंडर-19 चैलेंजर ट्रॉफी के लिए चुनी गई।