सौरव गांगुली को टीम इंडिया का ऑलटाइम बेस्ट कैप्टन माना जाता है। इतना ही नहीं उन्हें बहादुर खिलाड़ियों की श्रेणी में रखा जाता है। उन्होंने 2002 में नेटवेस्ट ट्रॉफी का फाइनल जीतने के बाद लॉर्ड्स की बालकनी में अपनी टी-शर्ट लहरा दी थी। लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि इंग्लैंड में ही एक बार गांगुली की जान जाते-जाते बची थी। उस घटना का जिक्र उन्होंने खुद इंग्लैंड के महान ऑलराउंडर इयान बॉथम की किताब में की है। गांगुली ने बताया कि उनके ऊपर एक युवक ने बंदूक तान दी थी। फिर एक अंग्रेज लड़की ने उनकी जान बचाई थी।
बॉथम की किताब ‘Beefy’s Cricket Tales’ में गांगुली ने टीम इंडिया के एक इंग्लैंड दौरे का जिक्र किया। दादा ने बताया कि उस घटना के बात वे कभी भी घूमने के दौरान बस का इस्तेमाल नहीं करते हैं। वे अपनी गाड़ी से ही जाते हैं। गांगुली ने कहा, ‘‘हम (नवजोत सिंह सिद्धू और मैं) ट्रेन पर चढ़ गए। हमारी गाड़ी में युवा किशोरों (दो लड़कों और तीन लड़कियों) का एक समूह था। वे शराब पी रहे थे। हम उनके विपरीत बैठे थे। उनमें से एक बीयर पीने के दौरान हमें देख रहा था।’’
गांगुली ने बताया, ‘‘उनमें से एक लड़का लड़ाई के लिए उकसा रहा था। मैं बच्चों के साथ कुछ भी नहीं करना चाहता था। यहां तक कि सिद्धू को शांत रहने के लिए कहा। उनमें से एक ने केन मेरी ओर फेंका। मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। इसी बीच सिद्धू बीच में कूद गए और भिड़ गए। मैं जानता था कि इसके बाद मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। मैंने अपना चश्मा दूर रखा और उसे दूर धक्का मारा। इसके बाद आगे के लिए तैयार हो गया। वह उठा और फिर मैंने उसके हाथ में बंदूक देखी। मुझे लगा कि अब सब कुछ खत्म हो गया। मेरी जिंदगी इसी ट्रेन में खत्म होने वाली है।’’
गांगुली ने आगे बताया, ‘‘उसी दौरान एक लड़की ने (जो काफी बड़ी और मजबूत थी) लड़के को बंदूक के साथ पकड़ लिया। उसे दूर हटाया। मैं कांप रहा था। जाहिर है बहुत परेशान था, लेकिन शुक्र है कि मैं उस दौरे को और अपने जीवन को जारी रखने में सक्षम था।’’ गांगुली फिलहाल भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष हैं। वे पिछले साल ही बोर्ड के अध्यक्ष बने थे। फिलहाल उनके कंधे पर आईपीएल के सफल आयोजन की जिम्मेदारी है।