शुभमन गिल (Shubman Gill) ने एक फरवरी 2023 को अहमदाबाद (Ahmedabad) के नरेंद्र मोदी स्टेडियम (Narendra Modi Stadium) में शतक लगाने के साथ ही रिकॉर्ड्स (Records) की झड़ी लगा दी। टेस्ट हो, एकदिवसीय मैच हो या फिर टी20 क्रिकेट हर तरफ वह अपनी कामयाबी का झंडा गाड़ रहे हैं।
पंजाब (Punjab) के फाजिल्का (Fazilka) में 8 सितंबर 1999 को जन्में शुभमन गिल के बारे में ‘पूत के पांव पालने में दिखाई पड़ते हैं’ वाली कहावत चरितार्थ होती है। शुभमन गिल ने न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे टी20 मैच के बाद फिर दोहराया कि उनकी सफलता में पिता लखविंदर गिल का 90% योगदान है। हालांकि, शुभमन गिल का जुनून भी कम नहीं है।
द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में लखविंदर गिल (Lakhwinder Gill) ने शुभमन के जुनून का जिक्र भी किया। लखविंदर गिल बेटे को क्रिकेट का सही माहौल मिल सके इसलिए पंजाब के एक छोटे से गांव से चंडीगढ़ (Chandigarh) शिफ्ट हो गए। शुभमन गिल के पिता पारिवारिक समारोहों में सिर्फ इसलिए नहीं शरीक हो पाते थे, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि उनके बेटे के प्रशिक्षण में एक दिन का भी ब्रेक हो। उनका बेटा भी उतना ही जुनूनी था।
शुभमन गिल महज 4 साल की उम्र में जब रात को सोने के लिए बिस्तर पर लेटते थे तो उन्हें अपने बगल या अपने तकिए के पास बल्ला चाहिए होता था। बिना बैट साथ लिए वह सोता नहीं था। वह अपने पसंदीदा खेल को लेकर पागलपन की हद तक आशक्त था।
शायद उसे लगता रहा होगा कि वह अपने बल्ले और क्रिकेट के बिना अगले दिन क्या करेगा? यही नहीं, जब कोई उसे गेंदबाजी करने के लिए आसपास नहीं होता था तो वह गेंद को बल्ले से दीवार पर मारकर प्रैक्टिस करते थे। यह शैडो बैटिंग नहीं थी, यह सोलो बैटिंग थी।
यही नहीं, शुभमन गिल के बचपन के कोच सुखविंदर टिंकू ने बताया, वह मेरी अकादमी में सबसे छोटा था। उसके शॉट्स की टाइमिंग इतनी अच्छी थी कि जिज्ञासावश मैंने उसका बल्ला देखने के लिए उसे अपने पास बुलाया। वह एक लकड़ी का बैट था। वह नहीं जो दुकानों में मिलता है।
सुखविंदर टिंकू ने बताया, वैसे बैट को उनके पिता ने उसके लिए अलग से बनाया था। बैट में हैंडल से 6 इंच नीचे गेंद के आकार का एक छेद था। इसने मुझे अचंभित कर दिया। मैं अवाक था। लखविंदर ने तब खुलासा किया कि शुभमन को हर दिन 500 से 700 गेंदें खेलने के लिए ऐसा बनवाया है।