पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी बॉब वूल्मर (Bob Woolmer) को छोड़ अपने किसी भी पूर्व कोच से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि उन्हीं कोचों के कारण ही वह बल्लेबाजी में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। उन्होंने पाकिस्तान न्यूज चैनल SAMAA TV पर एक इंटरव्यू के दौरान यह बात कही।
शाहिद अफरीदी से पूछा गया था कि यदि आप अपने करियर में पीछे मुड़कर देखते हैं तो क्या दिल में कहीं कोई खलिश रह गई है कि यह भी करना था मुझे? इस सवाल पर शाहिद अफरीदी ने कहा, ‘हां, बिल्कुल ऐसी फीलिंग आती है। मैं यह समझता हूं कि मैं बैटिंग में और बेहतर हासिल कर सकता था। लेकिन शायद मैं अपने कोचों के कारण ऐसा नहीं कर पाया।’
उन्होंने कहा, ‘इंटरनेशनल क्रिकेट में कोचिंग यह नहीं है कि आपको बैटिंग करना सिखाए। नेशनल क्रिकेट की टीम में जब आप जाते हैं तो वहां आपको परफॉर्म करना पड़ता है। अंडर-14, 16, 19 क्रिकेट लर्निंग वाली क्रिकेट है, या एकेडमी में जब आप खेलते हैं तब वहां आप क्रिकेट खेलना सीखते हैं। नेशनल टीम में आप सिर्फ परफॉर्म करते हैं।’
अफरीदी ने कहा, ‘इसे मैं अपनी बदकिस्मती कहूंगा। मैंने जब वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। मेरा एक अपना अंदाज था। ऊपर वाले ने मुझे एक स्ट्रेंथ थी, कि यह आपका तरीका है खेलने का। हालांकि, मेरा जितना भी कोचिंग स्टॉफ रहा, उसने मेरी उस चीज को पॉलिश करने के बजाय, मुझसे यह कहने लगा कि ठहर जाओ। विकेट पर रुक जाओ। हिट नहीं करो। उन्होंने मेरा गेम चेंज करने की कोशिश की।’
उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि वह मेरी जिंदगी में एक फर्क था। जब बॉब वूल्मर आए तो उनकी सोच ही अलग थी। मैं अगर एक-दो शॉट मारकर आउट हो जाता था, जब ड्रेसिंग रूम लौटता था, तब मेरे पास आकर वह कहते थे कि अफरीदी क्या छक्का मारा यार तुमने। क्या चौका मारा भाई। मैं चौड़ा हो जाता था। मैं कहता था अच्छा वाकई। तो वह चीज होती है कोचिंग।’
अफरीदी ने कहा, ‘मसला यह है कि वूल्मर से पहले जब मैं बैटिंग के लिए जाता था, तो मेरे दिमाग में चलता रहता था कि क्या अपना गेम खेलूं, कहीं आउट न हो जाऊं, कोच क्या कहेंगे? दूसरे लोग क्या कहेंगे मुझे? तो मैंने ज्यादातर इसी हालात में क्रिकेट खेली है।’