भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को गुरुवार यानी 19 मार्च 2022 को बॉम्बे हाई कोर्ट से झटका लगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस आर्बिट्रल आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें बीसीसीआई द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप को छोड़कर रेस्ट ऑफ द वर्ल्ड (RoW) के सभी क्षेत्रों के लिए वर्ल्ड स्पोर्ट ग्रुप (World Sport Grpup) इंडिया (WSGI) प्राइवेट लिमिटेड के इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के मीडिया अधिकारों को रद्द करने को बरकरार रखा गया था। आर्बिट्रल आदेश में बीसीसीआई को एस्क्रो खाते में 850 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि रखने की मंजूरी दी गई थी।
न्यायमूर्ति बर्गेस पी कोलाबावाला की सिंगल बेंच ने डब्ल्यूएसजीआई (WSGI) की ओर से दायर आर्बिट्रेशन याचिका पर आदेश पारित किया। याचिका में आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल ने 20 जुलाई, 2020 को आदेश दिया था। आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस सुजाता मनोहर और जस्टिस मुकुंदकम शर्मा और जस्टिस एसएस निज्जर शामिल थे। आदेश में जस्टिस एसएस निज्जर ने जस्टिस सुजाता मनोहर और जस्टिस मुकुंदकम शर्मा से असहमति जताई थी।
डब्ल्यूएसजीआई ने याचिकाकर्ता के दूसरे मीडिया राइट्स लाइसेंस एग्रीमेंट (MRLA) को रद्द करने के बीसीसीआई के आदेश को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता को 2009 से 2017 तक RoW के लिए आईपीएल के मीडिया अधिकार दिए गए थे। आर्बिट्रेशन पैनल ने बीसीसीआई की उस दलील को स्वीकार कर लिया था कि एमआरएलए एक कपटपूर्ण समग्र लेनदेन का हिस्सा था।
बीसीसीआई ने नवंबर 2007 में 10 साल (2008 से 2017 तक) के लिए आईपीएल मीडिया अधिकारों के लिए लाइसेंस हासिल करने के लिए निविदाएं आमंत्रित की थीं। निविदा में भारतीय उपमहाद्वीप के लिए दो श्रेणियों में मीडिया अधिकार शामिल थे। इसमें भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और मालदीव शामिल थे।
दूसरी श्रेणी RoW की थी। हालांकि, WSGI ने बोली जीती, लेकिन वह एक ब्राडकॉस्टर नहीं था और सिर्फ मीडिया अधिकारों का व्यापारी था। इसलिए उसने मल्टी-स्क्रीन मीडिया (MSM) सैटेलाइट (सिंगापुर) के साथ बोली-पूर्व समझौता किया। MSM का भारत में एक प्रसारण नेटवर्क था।
हाई कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई और एमएसएम के बीच विवाद आईपीएल के पहले सीजन और उसके बाद खड़ा हुआ। बीसीसीआई ने 2009 में इस समझौते को रद्द कर दिया था। WSGI ने 2010 में आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के समक्ष फैसले को चुनौती दी। जुलाई 2020 में, पैनल ने बहुमत के साथ बीसीसीआई के फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद WSGI ने हाई कोर्ट की शरण ली।