सचिन तेंदुलकर ने 24 साल लंबे अपने क्रिकेट करियर में 200 टेस्ट मैच, 463 वनडे और एक टी20 इंटरनेशनल मैच खेले। जब वह 22 साल के थे तब उन्होंने 24 मई 1995 को खुद से 6 साल बड़ी शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अंजलि से शादी की थी। 24 अप्रैल 1973 को जन्में सचिन ने अंजलि से शादी के बाद 165 टेस्ट, 366 वनडे इंटरनेशनल और एक टी20 इंटरनेशनल मैच खेले। मतलब उन्होंने शादी के बाद 532 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले, लेकिन इनमें से सिर्फ 2 मैच ही देखने के लिए उनकी पत्नी स्टेडियम पहुंचीं।
एक मैच में अंजलि को अपनी मर्जी के बिना जाना पड़ा था, जबकि दूसरा मुकाबला सचिन का फेयरवेल मैच था। सचिन ने ओकट्री के यूट्यूब चैनल के शो ब्रेकफास्ट विद चैंपियंस को दिए एक इंटरव्यू में ये बातें बताईं थीं। यही नहीं, सचिन ने यह भी बताया था कि उनके मैच के दौरान उनके बड़े भाई अजीत तेंदुलकर भी ढूंढे नहीं मिलते थे।
एंकर ने सचिन से उनके 200वें टेस्ट यानी आखिरी अंतरराष्ट्रीय मुकाबले को लेकर सवाल किया था। इस पर सचिन तेंदुलकर ने कहा था, ‘अंजलि मैच देखने कभी स्टेडियम नहीं आती थी। साल 2004 में ऑस्ट्रेलिया में वह हमारे साथ टूर पर थी। वहां पर और भी साथी क्रिकेटर्स की पत्नियां थीं।’
सचिन ने बताया, ‘उन लोगों ने अंजलि से कहा चलो आओ, चलो कुछ नहीं होगा। तब उसने कहा, नहीं मैं इस मामले में अंधविश्वासी हूं। मुझे पसंद नहीं है। इस पर उन लोगों ने मेरे लिए कहा कि उन्हें जाने दो, जाने दो। उन्हें खेलने दो। हम सब आपको छिपा लेंगे। चिंता मत करो। हम सब ये सुनिश्चित करेंगे कि आप बिल्कुल छिपी रहें और सचिन आपको देखने नहीं पाएं। बहुत ज्यादा जोर देने पर अंजलि मैच देखने के लिए स्टेडियम चली गई।’
सचिन ने आगे की कहानी बताई। उन्होंने कहा, ‘वह बॉक्सिंग-डे टेस्ट मैच था। ब्रेट ली ने पहली गेंद मुझे डाली। डाउन द लेग, कॉट बिहाइंड। मैंने बल्ला का किनारा लगाया और ऐसा लगा जैसे विकेट के पीछे एडम गिलक्रिस्ट गेंद अपने पास आने का इंतजार कर रहा था। मैंने कहा, यह तो खत्म हो गया यार।’
सचिन ने बताय, ‘उधर, अंजलि चुपचाप उठी और स्टेडियम से चली गईं। किसी भी क्रिकेटर की पत्नी ने उनसे कुछ नहीं कहा। हालांकि, मैंने नहीं अंजलि को देखा नहीं था। उसके बाद से वह फिर कभी नहीं आई। सिर्फ आखिरी टेस्ट मैच में आई।
सचिन ने बताया, ‘अंजलि एक ही जगह पर बैठकर मैच देखती थीं। यहां तक कि मेरे भाई अजीत ने भी कभी मेरा मैच नहीं देखा। जाहिरा तौर पर मैं यही सुनता था। उनका फोन साइलेंट पर रहता था। उनकी कार वहां नहीं होती थी। दरवाजे बंद होते थे। कोई नहीं जानता था कि वह कहां है। लेकिन वह तनाव में रहते थे।’
सचिन तेंदुलकर ने कहा, ‘यही वजह थी कि मेरी रिटायरमेंट स्पीच में मैंने कहा था कि यह जर्नी हमने (मैंने और मेरे बड़े भाई अजीत) साथ-साथ तय की है। तो इसलिए वह रहते था या नहीं रहते थे, लेकिन मैं यह जानता था कि वह मानसिक रूप से मेरे साथ हैं।’