ऑस्ट्रेलिया में विक्टोरिया पुलिस ने एक भारतीय व्यक्ति रविंदर दांडीवाल की पहचान टेनिस मैच फिक्सिंग के सरगना के तौर पर की। इसके बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (एसीयू) के प्रमुख अजीत सिंह ने रविवार को बताया कि फिक्सिंग सिंडिकेट का कथित सरगना रविंदर दांडीवाल (Ravinder Dandiwal) पिछले चार साल से बीसीसीआई के रडार पर है। लेकिन भारत में कानून की कमी के चलते बोर्ड को उससे पूछताछ करने की पावर (अधिकार) नहीं है।
अजीत सिंह द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि एक एसीयू कैसे भ्रष्टाचारियों की पहचान करता है, लेकिन मैच फिक्सिंग को अपराध घोषित करने वाले कानून की कमी के चलते उसके हाथ बंधे हैं। किसी सट्टेबाज की कैसे पहचान करने के सवाल पर अजीत सिंह ने कहा, ‘मुख्य बात यह है कि अपनी आंखें और कान खुले रखें। जब भी कोई मैच चल रहा होता है तो बहुत सारे लोग सट्टेबाजी करते हैं। ऐसे लोग हैं जो ऑनलाइन सट्टेबाजी करते हैं। ऐसे लोग हैं जो ऑफलाइन दांव लगाते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘कुछ स्रोत हैं जो जानकारी देते हैं। आपके पास प्रतिभागियों की पूरी टीम है; खिलाड़ी, सहायक कर्मचारी, प्रबंधन और ग्राउंड स्टाफ। इन लोगों को नियमित रूप से भ्रष्टाचार-रोधी मामलों को लेकर जागरूक किया जाता है। बताया जाता है कि भ्रष्टाचार-रोधी संहिता क्या है। उनकी जिम्मेदारियां क्या हैं? अगर उन्हें लगता है कि कुछ संदिग्ध है, तो वे हमें रिपोर्ट करते हैं। तब हम अन्य क्रिकेट बोर्डों और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की भ्रष्टाचार-रोधी एजेंसियों के लगातार संपर्क में रहते हैं। अगर उनके कुछ पता चलता है तो वे हमें सूचित करते हैं। सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है।’
क्या रविंदर दांडीवाल ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में आने के पहले से ही बीसीसीआई के रडार पर था? के सवाल पर अजीत सिंह ने कहा, ‘हां, हमने उसका बैकग्राउंड चेक किया था। वह मोहाली में एक लीग आयोजित करना चाहता था, जिसे हमने विफल कर दिया। यह लगभग दो से तीन साल पहले की बात है।’
जब दांडीवाल ने मोहाली में लीग आयोजित करने की योजना बनाई थी तब क्या वह पहली बार रडार पर आया था? के प्रश्न पर अजीत सिंह ने कहा, ‘नहीं, वह पहले से ही संदिग्ध था। यही कारण था कि इस बात पर ध्यान देने की अधिक वजहें थीं कि वह क्यों लीग का आयोजन कर रहा था? वह नेपाल में एक लीग आयोजित करने वाला था जो संदिग्ध थी। तब किसी ने हमें बताया था कि वह भ्रष्टाचारी है। हमने समय-समय पर इस जानकारी को संबंधित लोगों के साथ शेयर किया।’
मौजूदा समय में ऐसे कितने व्यक्ति हैं, जो बीसीसीआई की भ्रष्टाचार-रोधी इकाई के रडार पर हैं? इस सवाल पर अजीत सिंह ने बताया, ‘ऐसा कोई भी व्यक्ति जो किसी भी समय प्रतिकूल नोटिस में आया है, हमारे डेटाबेस में है। ऐसे लोगों की संख्या काफी है। एक एजेंसी के रूप में हम सट्टेबाजी को लेकर कुछ भी नहीं कर सकते हैं। हम मैच फिक्सिंग को लेकर चिंतित हैं। अगर सट्टेबाजी मैच फिक्सिंग की ओर ले जाती है, तब हमें (भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो) इस पर लगाम लगाने की जरूरत है। सट्टेबाजी रोकना पुलिस का काम है।’
हाल ही में, आईसीसी की भ्रष्टाचार रोधी इकाई के समन्वयक स्टीव रिचर्डसन ने कहा था कि भारत में यदि मैच फिक्सिंग को अपराध घोषित किया जाए तो यह गेमचेंजर साबित हो सकता है, क्योंकि मैच फिक्सिंग के मौजूदा अधिकांश मामले भारत से जुड़े हैं। इस पर आपकी क्या राय है?
इस सवाल पर अजीत सिंह ने कहा, ‘मैं भी उस ऑनलाइन पैनल का हिस्सा था, जिसमें रिचर्डसन ने यह बात कही थी। हमें फिक्सिंग के खिलाफ कानून बनाने की जरूरत है। श्रीसंत के मामले में देखें, उन्हें बरी कर दिया गया, क्योंकि अदालत ने कहा कि मौजूदा नियमों के तहत उनके खिलाफ जो भी कार्रवाई की जा सकती थी, बीसीसीआई कर रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘हम डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय) की तुलना में एक गैर-प्रवर्तन एजेंसी हैं। हमारे पास ऐसे लोगों से पूछताछ करने का कोई अधिकार नहीं है। जो भागीदार (खिलाड़ी, सहायक कर्मचारी, प्रबंधन और ग्राउंड स्टाफ) नहीं हैं। हम कोई जांच या जब्ती की कार्रवाई भी नहीं कर सकते हैं। ये शक्तियां पुलिस और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों के पास हैं। ऐसा कानून हो, जिसके तहत वे कार्रवाई कर सकें तब वे प्रभावी तरीके से उन (बुकी/फिक्सर) पर नियंत्रण कर लेंगे। मौजूदा हालात में, हम दांडीवाल के खिलाफ कुछ भी नहीं कर सकते हैं, भले ही हमारे पास कुछ जानकारी भी क्यों न हो।’