चरनपाल सिंह सोबती
सब जानते हैं कि पंजाब किंग्स ने 18.50 करोड़ रुपए में खरीदा सैम करेन को और इस पर सैम की क्या हालत हुई- यह किसी ने नहीं जाना। वे कहते हैं कि खबर सुनकर उन्हें सारी रात नींद नहीं आई। इंग्लैंड के इस तेज गेंदबाज को अब तक दुनिया के शीर्ष गेंदबाज में से एक गिनते थे- उनकी प्रोफाइल में यह भी लिखा जाएगा कि वे आइपीएल के इतिहास में अब तक के सबसे महंगे खिलाड़ी बन गए।
जब ऐसे पैसा मिलेगा तो नींद कहां से आएगी? आइपीएल 2008 से अब तक एक लंबा सफर तय कर चुकी है और जिस तरह विदेशी और भारत के शीर्ष क्रिकेटरों तथा नई प्रतिभा को इस लीग ने आकर्षित किया है- उसका जवाब नहीं। इसकी बढ़ती ब्रांड इक्विटी और खिलाड़ियों पर नीलामी में फ्रेंचाइजी की बड़ी हो रही जेब क्रिकेट की दुनिया में अनोखे हैं।
इस साल की नीलामी देखकर साफ है कि टीम मालिकों की निगाहें हरफनमौला खिलाड़ियों पर थी और आम तौर पर वही ज्यादा पैसा ले गए। भले ही पंजाब किंग्स ने सैम पर 18.5 करोड़ रुपए खर्च किए, तब भी उन्हें आसानी से नहीं खरीद पाए। मुंबई इंडियंस से टकराव, कुल 70 बोली और शुरू में छह टीमों का उनके लिए मुकाबले पर उतरना (ऐसा और किसी खिलाड़ी के लिए नहीं हुआ)- इस नीलामी के कीर्तिमान रहे। सैम नहीं तो मुंबई इंडियंस ने आस्ट्रेलिया के कैमरून ग्रीन को 17.5 करोड़ रुपए और चेन्नई सुपर किंग्स ने बेन स्टोक्स पर 16.25 करोड़ रुपए खर्च किए। क्या है ये सब? आइपीएल की शुरुआत के वक्त, ऐसा होगा- यह किसी ने भी नहीं सोचा था।
कोच्चि में उस शाम, नीलामी में फ्रेंचाइजी ने 80 खिलाड़ियों पर कुल 167 करोड़ रुपए खर्च किए। ऐसा नहीं कि सारा पैसा हरफनमौल ही ले गए- बल्लेबाजों और गेंदबाजों पर भी पैसा खर्च किया गया, खासकर बल्लेबाजों पर। यह मानने वालों की कमी नहीं कि आइपीएल में आ रहा ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ का नया नियम इसके लिए बहुत कुछ जिम्मेदार रहा- अब टीमों को ऐसे खिलाड़ियों की भी तलाश थी जो इस बडे विकल्प की जरूरत को पूरा करें।
हैरी ब्रूक, मयंक अग्रवाल और मनीष पांडे जैसे इस चक्कर में करोड़ों ले गए। सबसे ज्यादा हैरान इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने किया। उनके आठ खिलाड़ियों पर 58.1 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इतने तो 51 भारतीय खिलाड़ियों पर भी कुल मिला कर खर्च नहीं किए गए। सही कहें तो दोनों रकम में 16 करोड़ रुपए का अंतर है। अकेले सैम करेन, स्टोक्स और हैरी ब्रूक 48 करोड़ रुपए ले गए यानी कि कुल नीलामी खर्च का लगभग 29 फीसद।
हरफनमौलाओं पर 70.95 करोड़ रुपए खर्च किए गए। भारतीयों पर आठ करोड़ रुपए और विदेशियों पर 62.95 करोड़ रुपए। कुल बिके 80 खिलाड़ियों में- 37 कैप्ड खिलाड़ियों पर 139 करोड़ रुपए और 43 अनकैप्ड खिलाड़ियों पर 28 करोड़ रुपए खर्च किए गए। यह आइपीएल का अजीब अर्थशास्त्र ही तो है कि जो केन विलियमसन पिछले सत्र में सनराइजर्स से 14 करोड़ रुपए ले रहे थे, इस बार उन्हें टाइटन्स ने आधार मूल्य दो करोड़ रुपए में खरीदा।
कीमत में 12 करोड़ रुपए की गिरावट पर यह भी कीर्तिमान नहीं है। उन्हीं के देश के काइल जैमीसन की कीमत तो 14 करोड़ रुपए गिरी- 2021 में रायल चैलेंजर्स ने उनके लिए 15 करोड़ रुपए खर्च किए थे और इस बार एक करोड़ रुपए में ही मिल गए सुपर किंग्स को। रिचर्डसन की कीमत 12.5 करोड़ रुपए से गिरी- 14 करोड़ रुपए (किंग्स) के थे और अब 1.5 करोड़ रुपए में मुंबई इंडियंस के हो गए।
अगर फीसद वाला गणित लगाएं तो जैमिसन को 93.33% कम पैसा मिला और इस मामले में कीर्तिमान बनाया रोमारियो शेफर्ड ने 93.5% के साथ- 2022 में जो सनराइजर्स के लिए 7.75 करोड़ रुपए के थे, इस बार सुपर जायंट्स को 50 लाख रुपए में ही मिल गए। इसी तरह से पैसे के मामले में, सबसे बड़ी छलांग करेन ने लगाई 13 करोड़ रुपए की (2021 में 5.5 करोड़ रुपए से 18.5 करोड़ रुपए) तो सबसे बड़ी फीसद में बढ़ोतरी रेली रोसौव के नाम रही- 1433.33% ज्यादा, क्योंकि 2015 में जब पिछली बार आइपीएल का हिस्सा थे तो रायल चैलेंजर्स से 30 लाख रुपए मिले थे और इस बार दिल्ली कैपिटल्स ने उनके लिए 4.6 करोड़ रुपए खर्च कर दिए ।
इस नीलामी का एक और बहुत बड़ा रहस्य यह है कि सैम करेन नीलामी में बेन स्टोक्स से बड़ी संविदा कैसे ले गए? ये ठीक है कि सैम के नाम 77 अंतरराष्ट्रीय मैच में 1,179 रन और 104 विकेट का कीर्तिमान है पर स्टोक्स का 237 अंतरराष्ट्रीय मैच में 9,111 रन और 293 विकेट का कीर्तिमान भी कोई कम नहीं और उस पर वे बेन स्टोक्स हैं। ठीक है, स्टोक्स को भी 16.25 करोड़ रुपए मिले पर सैम से कम क्यों?
विपणन के जानकार कहते हैं- आइपीएल नीलामी का सबसे बड़ा नियम मांग-आपूर्ति ही है। करेन और स्टोक्स दोनों सीम-गेंदबाजी हरफनमौला हैं। अब टीम, खिलाड़ी खरीदते हुए उसका नाम नहीं, अपनी जरूरत ज्यादा देखती हैं। विदेशी स्पिनर क्यों यहां कम बिकते हैं- इसलिए कि अपने ही ढेरों स्पिनर हैं। हरफनमौला का यहां अकाल है- इसलिए विदेशी ज्यादा पैसा ले जाते हैं।आइपीएल नीलामी में अब तक के चार सबसे महंगे ख़रीदे गए। 2021 में दक्षिण अफ्रीका के क्रिस मारिस, और इस साल स्टोक्स, करेन और आस्ट्रेलिया के कैमरून ग्रीन – सभी सीम-गेंदबाजी हरफनमौला हैं।