यह पहली बार है जब एक महिला खेल के सबसे बड़े टूर्नामेंट को संचालित करेगी। फ्रांस की स्टेफनी फ्रैपार्ट और रवांडा की सलीमा मुकांसंगा की सोच भी ठीक ऐसी हो होनी चाहिए। ये तीनों महिलाएं कतर के लिए सूचीबद्ध 36 रेफरी के पूल में हैं – बाकी सभी पुरुष हैं। फीफा ने 69 के पूल में तीन महिला सहायक रेफरी को भी नामित किया है। ब्राजील की नुजा बैक, मैक्सिको की करेन डियाज मदीना और संयुक्त राज्य अमेरिका की कैथरीन नेस्बिट।
यामाशिता इस बात से अवगत हैं कि उनके चयन ने महिलाओं के लिए समान वेतन के अधिकांश उपायों और लैंगिक समानता के वैश्विक अध्ययनों में जापान की निम्न रैंकिंग पर ध्यान केंद्रित किया है। यामाशिता ने एक साक्षात्कार में कहा था, अगर महिलाएं इस तरह से खेल में सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं और विशेष रूप से फुटबाल इसका नेतृत्व कर सकती हैं, तो मुझे बहुत खुशी होगी।
जापान में, फुटबाल की दुनिया (महिलाओं की भागीदारी के संबंध में) में एक मुकाम तक पहुंचने के लिए अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है, इसलिए यह बहुत अच्छा होगा यदि यह अलग-अलग तरीकों से खेल में महिला भागीदारी को बढ़ावा देने से जुड़ा हो, न सिर्फ फुटबाल में बल्कि बाकी खेलों में भी। तीनों ने पहले भी पुरुषों के मैचों में रेफरी की भूमिका निभाई है और विश्व कप फुटबाल में उनका पदार्पण उस मध्य पूर्वी देश से हो रही है जहां महिलाओं की भूमिका अभी नगण्य है।
फ्रैपार्ट सबसे प्रसिद्ध हैं और पहले से ही विश्व कप क्वालीफाइंग और चैंपियंस लीग में पुरुषों के खेल में अहम भूमिका निभा चुका हैं। उन्होंने 2019 महिला विश्व कप फाइनल को भी संभाला, और इस साल के पुरुष फ्रेंच कप फाइनल में भी रेफरी रही हैं। यामाशिता ने जापान की पुरुषों की लीग में रेफरी के रोल को बखूबी अंजाम दिया है। पुरुषों की चैंपियंस लीग के एशियाई समकक्ष की प्रभारी भी रही हैं। वे पिछले साल तोक्यो ओलंपिक में रेफरी भी थीं।
इस साल की शुरुआत में, मुकानसांगा अफ्रीका कप आफ नेशंस मैच में रेफरी की भूमिका निभाने वाली पहली महिला बनीं। साथ ही उन्होंने एक सर्व-महिला अंपायरिंग टीम का नेतृत्व भी किया। 2002 विश्व कप फाइनल में काम करने वाले फीफा रेफरी समिति के अध्यक्ष पियरलुइगी कोलिना ने कहा, हमेशा की तरह, हमने जो मानदंड इस्तेमाल किया है वहां गुणवत्ता पहले है और चयनित मैच अधिकारी दुनिया भर में रेफरी के उच्चतम मानकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस तरह, हम स्पष्ट रूप से इस बात पर जोर देते हैं कि यह गुणवत्ता है जो हमारे लिए मायने रखती है न कि लिंग।
उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में महत्त्वपूर्ण पुरुषों की प्रतियोगिताओं के लिए महिला मैच अधिकारियों का चयन सामान्य माना जाने लगेगा और अब की तरह सनसनीखेज नहीं होगा। यामाशिता ने कहा कि पुरुषों और महिलाओं के खेल में अंतर निश्चित रूप से गति का है। गेंद की गति नहीं। यह सिर्फ खेल की गति है। इसका मतलब है कि मेरे लिए मुझे जल्दी निर्णय लेने होंगे – अधिक गति से। फिर तनाव तो हावी रहेगा ही क्योंकि यह सबसे बड़ा मंच है। इन तमाम चुनौतियों के बावजूद वे विश्व कप में निश्चित रूप से ध्यान आकर्षित करना चाहती हैं।
बेशक, मुझे लगता है कि दबाव बहुत बड़ा है। मुझे लगता है कि मेरे पास बहुत जिम्मेदारी है। लेकिन मैं इस कर्तव्य और दबाव को लेकर वास्तव में खुश हूं, इसलिए मैं इसे सकारात्मक रूप से लेने की कोशिश करूंगी। खुश रहने की कोशिश करूंगी। वे जानती हैं कि उन तीनों को प्रभारी रेफरी के रूप में उपयोग नहीं किया जाएगा। उन्हें चौथे रेफरी के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, उन्हें सहायक के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है।
कई रेफरियों की तरह, यामाशिता ने कहा कि उनका काम रास्ते से दूर रहना और खेल को चमकने देना रहना है। रेफरी के रूप में बड़े लक्ष्यों में से एक फुटबाल के आकर्षण को सामने लाना है। उन्होंने कहा कि वे इसके लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगी, और उस समय उन्हें जो करना चाहिए वह वे करेंगी। इसलिए अगर उन्हें खिलाड़ियों के साथ संवाद करने की जरूरत होगी, तो वह भी करूंगी। अगर कार्ड दिखाना होगा तो कार्ड भी दिखाऊंगी।
यामाशिता ने कहा कि कतर में खिलाड़ियों के साथ संवाद करते समय वे अंग्रेजी और चेहरे के हावभाव, शरीर के हावभाव का उपयोग करेंगी। आमतौर पर जब मैं कार्ड दिखाती हूं, तो कुछ नहीं कहती। उन्होंने कहा कि लेकिन जब मैं चेतावनी देती हूं, तो मैं उन्हें बताती हूं कि मैं खुश नहीं हूं। वे (खिलाड़ी) मेरा मंतव्य पूरी तरह समझ जाते हैं।