Kapil Dev, The Great Cricketer: पद्म भूषण से सम्मानित कपिल देव (Kapil Dev) आईसीसी वनडे विश्व कप जीतने वाले सबसे युवा कप्तान (Young Captain) हैं। कपिल देव की गिनती दुनिया के सर्वकालिक महान ऑलराउंडर्स (All Rounder) में की जीती है। कपिल देव (Kapil Dev) ने अपने करियर में 131 टेस्ट मैच और 225 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। इसमें कपिल देव (Kapil Dev) ने क्रमशः 434 और 253 विकेट लिए। यही नहीं, कपिल देव ने टेस्ट में 5248 और वनडे में 95.07 के स्ट्राइक रेट से 3783 रन भी बनाए। कपिल देव (Kapil Dev) भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच (Head Coach) भी रह चुके हैं।
कपिल देव की ढेरों उपलब्धियां तो उनके फैंस (Fans) को पता होंगी, लेकिन बहुत से लोग उनके संघर्ष की कहानी (Struggle Story) से अनजान होंगे। ‘हरियाणा हरिकेन’ के नाम से मशहूर कपिल देव (Kapil Dev) का जन्म 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़ (Chandigarh) में हुआ था। कपिल देव के महान तेज गेंदबाज बनने का सफर सही मायने में 1974 में शुरू हुआ। दरअसल, कपिल देव जब 15 साल के थे तब उन्हें मुंबई (Mumbai) में एक ट्रेनिंग कैंप (Training Camp) में हिस्सा लेने का मौका मिला। वह प्रशिक्षण शिविर देश के उभरते क्रिकेटर्स के लिए लगाया गया था।
15 साल के कपिल देव (Kapil Dev) को प्रशिक्षण शिविर (Training Camp) में खाने को मिली थी सिर्फ 2 रोटी और सूखी सब्जी
कैंप में पहुंचे कपिल देव को पहले दिन खाने में दो रोटी और सूखी सब्जी मिली। एक तेज गेंदबाज के लिए इतनी डाइट ऊंट के मुंह में जीरे के समान थी। कपिल देव ने इसकी शिकायत करने के लिए कैंप के मैनेजर केके तारापुर के पास पहुंचे। कपिल देव ने तारापुर से कहा, ‘सर मैं तेज गेंदबाज हूं। इतने खाने (सिर्फ दो रोटी) से मेरा काम नहीं चलेगा।’
कपिल देव की बात सुनकर तारापुर हंसने लगे। तारापुर ने कहा, ‘अभी तुम एक दिन आए हुए हुआ है और आते ही तुम शिकायत करने लगे। यूनियन बनाकर उसके लीडर भी बन गए।’ तारापुर ने आगे कहा, ‘रोटियां तो तुम्हें और मिल जाएंगी, लेकिन एक बात समझ लो कि भारत में पिछले 40 साल में कोई तेज गेंदबाज पैदा नहीं हुआ है।’
कपिल देव (Kapil Dev) ने बनाया टीम इंडिया (Team India) को पहली बार विश्व चैंपियन (World Cup Winner)
तारापुर की बात सुनकर कपिल देव की आंखों में आंसू आ गए। कपिल देव ने उसी समय सौगंध उठाई कि अब वह तेज गेंदबाज ही बनेंगे। आंकड़े गवाह हैं कि कपिल देव ने अपनी कसम पूरी भी की और अपनी अगुआई में पहला वर्ल्ड कप जिताकर (1983) विश्व स्तर पर भारत का नाम भी रौशन किया।