Jitesh Sharma Journey: विकेटकीपर बल्लेबाज जितेश शर्मा (Jitesh Sharma) को साल 2017 में मुंबई इंडियंस ने चुना था, लेकिन पूरा सीजन उनका ड्रेसिंग रूम में ही गुजरा। 28 वर्ष के इस खिलाड़ी को साल 2022 में पंजाब किंग्स की ओर से खेलने का मौका मिला। उन्होंने इस मौके को दोनों हाथों से लपका और अब वह टीम इंडिया (Team India) में हैं। श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में संजू सैमसन के चोटिल होने के बाद टीम में उनका चयन हुआ। न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 सीरीज में भी वह चुने गए हैं।
हालांकि, जितेश शर्मा (Jitesh Sharma) की चाहत क्रिकेटर बनने की नहीं थी। वह एनडीए की परीक्षा पास करके सेना में जाना चाहते थे। उन्होंने स्कूल में क्रिकेट खेलना शुरू कुछ अधिक नंबर पाने के लिए किया। ईएसपीएनक्रिकइंफो से बातचीत में उन्होंने बताया है कि वह अपने स्कूल के लिए फुटबॉल खेलते थे। उनको दोस्तों ने बताया कि स्कूल की क्रिकेट टीम अच्छी है। अगर उनका चयन स्टेट टीम में हो जाता है तो उनको एग्जाम में कुछ अधिक नंबर मिल सकते हैं।
4% अतिरिक्त अंक के लिए खेलना शुरू किया
जितेश शर्मा (Jitesh Sharma) ने अमरावती से टीम इंडिया तक के सफर के बारे में बताते हुए कहा, “मैं क्रिकेट नहीं खेलना चाहता था। सच कहूं तो मुझे कोई दिलचस्पी नहीं थी। मैं प्लास्टिक की गेंद से खेलता था, लेकिन जब मैंने स्कूल में अधिक नंबर प्राप्त करने के लिए खेलना शुरू किया तो मेरा क्रिकेट आगे बढ़ा। महाराष्ट्र में एक नियम है कि 10वीं कक्षा तक अगर आप स्टेट टीम के लिए खेलते हैं, तो आपको 4% अतिरिक्त अंक मिलते हैं।”
कैसे विकेटकीपर बने जितेश शर्मा
जितेश शर्मा (Jitesh Sharma) ने आगे कहा, “मैं अपने स्कूल के लिए फुटबॉल खेलता था, लेकिन मेरे दोस्तों ने मुझे बताया कि हमारे स्कूल की क्रिकेट टीम अच्छी है और अगर मुझे राज्य के लिए चुना जाता है, तो मुझे और अधिक अंक मिल सकते हैं। मैं केवल उन अतिरिक्त अंकों के लिए स्कूल क्रिकेट ट्रायल में शामिल हुआ। स्कूल में कोई विकेटकीपर नहीं था, इसलिए जब उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं विकेटकीपर हूं, तो मैंने यूं ही कह दिया कि मैं हूं। उस दिन से मैंने विकेटकीपिंग करना शुरू कर दिया। मैंने गेंद को अच्छी तरह से पकड़ा और स्कूल की टीम में चुना गया और 10वीं तक मैं राज्य के लिए खेल चुका था।”
कोच अमर मोरे ने दी क्रिकेट को गंभीरता से लेने की सलाह
जितेश शर्मा (Jitesh Sharma) ने यह भी बताया, “हमारे स्कूल के मैच अमरावती के क्लब ग्राउंड में हुआ करते थे। वहां के एक कोच अमर मोरे ने सुझाव दिया कि मैं गंभीरता से क्रिकेट खेलूं। मैंने उनसे कहा कि सेना में शामिल होना मेरा सपना है और मुझे क्रिकेट में कोई दिलचस्पी नहीं है। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि मुझे कोशिश करनी चाहिए। मेरे अंडर-16 ट्रायल के पहले ही साल में विदर्भ टीम के लिए चुना गया। फिर जब मैं 11वीं कक्षा में गया, तो मैंने सोचा कि मैं नहीं खेलूंगा, लेकिन मेरे पिता ने मुझे सलाह दी कि फिट रहने के लिए क्रिकेट खेलना चाहिए क्योंकि नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) की परीक्षा पास करने के लिए फिटनेस एक महत्वपूर्ण पैरामीटर था।
12वीं कक्षा में 4% अतिरिक्त अंकों के लिए खेलना जारी रखा
जितेश शर्मा (Jitesh Sharma) ने यही भी बताया, ” अंडर-19 में भी पहले ही साल में मेरा चयन हो गया। वास्तव में मैं विदर्भ के लिए अंडर-19 में सबसे कम उम्र के खिलाड़ियों में से एक था। फिर, 12वीं कक्षा में 4% अतिरिक्त अंकों के लिए मैंने खेलना जारी रखा। मैं फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स पढ़ रहा था और क्वालीफाई करने के लिए मुझे कुछ निश्चित अंकों की जरूरत थी। जब मुझे दूसरे साल अंडर-19 में चुना गया और प्रदर्शन किया, तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरे पास कप्तान बनने का भी मौका है।”
भारत के लिए खेलने के बारे में नहीं सोचा
जितेश शर्मा (Jitesh Sharma) ने आगे बताया, “मुझे एहसास हुआ कि मैं एक अलग रास्ते पर चल पड़ा हूं। क्रिकेट के लिए जुनून दिखने लगा। मैंने नहीं सोचा था कि भारत या किसी टीम के लिए खेलूंगा। मुझे खेलना पसंद था क्योंकि हम यात्रा करते थे, अच्छे होटलों में रहते थे, अलग-अलग जगह देखते थे। मुझे उसके लिए क्रिकेट पसंद आया।”