2008-09 में खिलाड़ी-बुकी के बीच हुई कथित बातचीत के बारे में मिश्रा ने कहा, “यह भारत में खेले जाने वाले अंतरराष्ट्रीय मैच से संबंधित मामला है। लेकिन मैं उस घटना की पूरी जांच नहीं कर सका। यह वाकया एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच के दौरान हुआ। मैच से सिर्फ एक या दो दिन पहले या शायद मैच के दौरान हुआ था।” हालांकि, मिश्रा ने खिलाड़ी की पहचान करने से इंकार कर दिया।
सबूतों के बारे में पूछे जाने पर, मिश्रा ने कहा, “खिलाड़ी और बुकी के बीच फोन पर बातचीत की गई थी, जो रिकॉर्ड किया गया था। इसमें दो लोगों की आवाज स्पष्ट रूप से सुनाई दे रही है। इसमें एक खिलाड़ी का है और दूसरा बुकी का। अगर मुझे जांच करनी है, तो मुझे खिलाड़ी के आवाज के नमूने और बुकी के आवाज के नमूने लेना होगा। इसके बाद फोरेंसिक जांच के लिए भेजना होगा। इसमें एक महीने लग सकते हैं। लेकिन मैं ऐसा क्यों करुं, जब यह मेरे कार्य का हिस्सा ही नहीं है? अगर हमारे पास अधिक समय होता तो यह किया जा सकता था। लेकिन अभी तक मेरा खिलाड़ी और बुकी से आमना-सामना नहीं हुआ है। मैं किसी तरह बुकी से बात करने में कामयाब रहा।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं बुकी से मिली जानकारी के आधार पर खिलाड़ी से बात करता। लेकिन वह रिकॉर्डेड सबूत बुकी से नहीं मिल सका। हालांकि मुझे पता है कि सबूत मौजूद थे, लेकिन मैं इसे पाने के लिए पीछे नहीं लग सका। बुकी ने मेरे सामने इस बात को स्वीकार भी किया था कि उसके पास सबूत है। वह सबूत देने को भी तैयार था, लेकिन आखिरी मिनट में उसने उसने अपना फैसला बदल लिया।” मिश्रा ने कहा, “मुझे एन श्रीनिवासन (पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष), गुरुनाथ मयप्पन, राज कुंद्रा और सुंदर रमन (पूर्व आईपीएल सीओओ) के खिलाफ लगे आरोपों पर ध्यान देना पड़ा। साथ ही नौ खिलाडि़यों पर लगे आरोपों को भी देखना पड़ा। हमने दोनों की जांच की। फिलहाल चारों अधिकारियों से संबंधित जांच को सार्वजनिक कर दिया गया है।”