सुनामी में पांच दिन पेड़ पर रहकर बचाई थी जान, अब चार साल से नहीं गईं घर, ओलंपिक में मेडल जीतने का है सपना
देबोराह हेरोल्ड आठ साल पहले अंडमान एंव निकोबार द्वीप समूह में दिसंबर 2004 में आयी सुनामी से बची थी।

सुनामी से बचने वाली देबोराह हेरोल्ड ने पिछले चार वर्षों से अपने माता पिता को नहीं देखा है और यह शीर्ष महिला साइकिलिस्ट अगले दो साल तक ऐसा नहीं करेगी क्योंकि वह अपना ओलंपिक का सपना पूरा करना चाहती है। देबोरोह 18 फरवरी को 22 साल की हो जायेगी। जनवरी 2013 में वह अपने घर से आ गई थी, जब वह 17 साल की थी और तब से यहां इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में ही है। आठ साल पहले वह अंडमान एंव निकोबार द्वीप समूह में दिसंबर 2004 में आयी सुनामी से बची थी। वह पांच दिन तक पेड़ पर रहकर पत्ते और छाल खाकर जीवित रही थी।
देबोराह ने कहा, ‘मैं यहां जनवरी 2013 में आई थी और तब मैंने घर नहीं गई हूं। मैं पिछले चार वर्षों से अपने माता पिता से नहीं मिली हूं, केवल उनसे फोन पर ही बात की है।’ उन्होंने साक्षात्कार में कहा, ‘मैं अभी उनसे नहीं मिलना चाहती हूं, शायद अगले दो तीन साल और नहीं क्योंकि मैं 2020 ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करना चाहती हूं। यही मेरा सपना है और जिंदगी का लक्ष्य है। अगर मैं पदक जीत लेती हूं तो यह बहुत अच्छा होगा लेकिन पहले मुझे ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करना होगा। अंडमान एंव निकोबार से कोई भी ओलंपिक नहीं गया है और मैं ऐसा करना चाहती हूं।’
देबोराह हेरोल्ड साल 2012 में उस वक्त चर्चा में आई थीं, जब उन्होंने साइकलिंग में राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीता था। इसके बाद साल 2013 में एशियन चैंपियनशिप में देबोराह ने जूनियर कैटेगरी में पांच गोल्ड मेडल जीते। देबोराह ने साल 2014 के ट्रैक साइकलिंग एशिया कप में तीन कैटेगरी में चार गोल्ड मेडल जीते थे। इसके बाद साल 2015 की टुर्नामेंट में देबोराह ने तीन गोल्ड और सिल्वर मेडल जीते थे। इसी साल देबोराह ने ताइवान कप ट्रैक इंटरनेशनल क्लासिक इवेंट में एक गोल्ड, एक सिल्वर और तीन कांस्य पदकों पर कब्जा किया था।
केवल अपने सपने के बारे में सोचने वाली देबोराह आगे की पढ़ाई के लिए चिंतित नहीं हैं। देबोराह ने 10वीं तक पढ़ाई की है, अब आगे की पढ़ाई ओपन स्कूल के जरिए कर रही है। इनके पिता अंडमान एंव निकोबार द्वीप समूह में भारतीय वायु सेना बेस पर काम करते हैं और माता घरेलू महिला हैं।
देबोराह ने बताया, ‘मैंने 10वीं कक्षा पास की है और अब मैंने आगे की पढ़ाई के लिए ऑपन स्कूल सिस्टम में रजिस्ट्रेशन करवाया है। मैं ट्रेनिंग की वजह से मेरी पढ़ाई अंडमान और यहां जारी नहीं रख सकती।’
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