Charanjit Singh Dies: दिल का दौरा पड़ने से भारत के महान हॉकी खिलाड़ी चरणजीत सिंह का 27 जनवरी 2022 को निधन हो गया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के ऊना स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से उम्र से जुड़ी बीमारियों से भी जूझ रहे थे। हॉकी इंडिया ने पद्मश्री और अर्जुन अवार्डी चरणजीत सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया।
दो बार के ओलंपियन भारतीय हॉकी के गौरवशाली दिनों का हिस्सा थे। एक करिश्माई हाफबैक, चरणजीत सिंह की अगुआई मे 1964 के टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम ने फाइनल में पाकिस्तान को हराकर ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता था।
चरणजीत सिंह के परिवार में दो बेटे और एक बेटी है। पांच साल पहले भी चरणजीत को स्ट्रोक हुआ था और तब से वह लकवाग्रस्त थे। उनके बेटे वी पी सिंह ने बताया, ‘पांच साल पहले स्ट्रोक के बाद से वह लकवाग्रस्त थे। वह छड़ी के सहारे चलते थे, लेकिन पिछले दो महीने से उनकी हालत और खराब हो गई थी। उन्होंने गुरुवार सुबह अंतिम सांस ली।’
ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम की कप्तानी के साथ वह 1960 रोम ओलंपिक की रजत पदक विजेता टीम का भी हिस्सा रहे थे। इसके अलावा वह 1962 जकार्ता एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता टीम के भी सदस्य थे। चरणजीत सिंह फ्रैक्चर होने के कारण 1960 ओलंपिक का फाइनल नहीं खेल पाए थे। वह सेमीफाइनल खेले थे। उसी मैच में उन्हें फ्रैक्चर हो गया था।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, 20 नवंबर 1929 को जन्में चरणजीत सिंह कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, देहरादून और पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र थे। अंतरराष्ट्रीय हॉकी में अपने शानदार करियर के बाद, उन्होंने शिमला में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक के रूप में काम किया।
पद्मश्री चरणजीत सिंह, बलबीर सीनियर, पृथ्वीपाल जैसे धुंरधरों की टीम को उस समय स्टार स्टडड टीम का नाम दिया गया था। सभी दर्शक चाहते थे कि हर प्रतियोगिता में यही टीम खेलने उतरे।

वीपी सिंह ने कहा, ‘मेरी बहन के दिल्ली से आने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।’ चरणजीत की पत्नी का 12 वर्ष पहले निधन हो गया था। चरणजीत के बड़े बेटे कनाडा में डॉक्टर हैं। छोटे बेटे उनके साथ ही थे। उनकी बेटी विवाह के बाद से दिल्ली में रहती हैं।