बिना विराट कोहली के इन पांच नायकों के चलते भारत ने ऑस्ट्रेलिया पर फहराई विजय पताका
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शृंखला में भारत की ओर से जीत के कई नायक उभरे हैं। इसमें टीम ने विराट कोहली के खराब प्रदर्शन के बावजूद विजय पताका फहराई है।

रवींद्र जडेजा: इस सीरीज जीत के सूत्रधार निसंदेह रवींद्र जडेजा रहे। पुणे में हार के बाद भारतीय टीम की वापसी का रास्ता रवींद्र जडेजा की गेंदबाजी से ही निकला। बेंगलुरु टेस्ट में जब अश्विन की गेंद नहीं घूम रही थी तो जडेजा ने अपनी फिरकी से कंगारू बल्लेबाजों को चक्करघिन्नी किया। उन्होंने इस टेस्ट में पहली पारी में 6 विकेट लिए। भारत ने यह मैच जीता और सीरीज में बराबरी हासिल की। रांची और धर्मशाला में खेले गए मुकाबलों में उन्होंने गेंद के साथ ही बल्ले से भी जौहर दिखाया। इन दोनों टेस्ट में जडेजा ने अर्धशतक लगाए। धर्मशाला टेस्ट का अर्धशतक तो मैच का टर्निंग पॉइंट था। ऋद्धिमान साहा के साथ उनकी 96 रन की पार्टनरशिप से टीम इंडिया को बढ़त मिली जो कि बाद में निर्णायक साबित हुई। रवींद्र जडेजा ने चार टेस्ट में 127 रन बनाए और 25 विकेट लिए। इसके लिए वे मैन ऑफ द सीरीज चुने गए।
उमेश यादव: भारतीय पिचों पर किसी भी तेज गेंदबाज के लिए बॉलिंग थका देने वाला काम होता है। यहां कि पिचें स्पिन की मददगार और सूखी होती है जिसमें तेज गेंदबाज के लिए कोई मदद नहीं होती। लेकिन उमेश यादव ने इस पूरे सत्र में अपनी रफ्तार और बाउंस से इस धारणा को बदल दिया। भारत की ओर से उन्होंने पूरे सीजन में एक टेस्ट मिस किया। उनकी रफ्तार में कोई कमी नहीं आई। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट में तो उमेश अलग ही रंग में दिखे। उन्होंने इस दौरान एक सीरीज में खुद के सर्वाधिक विकेट लेने के रिकॉर्ड को भी सुधार लिया। जब भी टीम इंडिया को विकेट चाहिए तो उमेश ने वह काम किया।
केएल राहुल: केएल राहुल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में सात पारियों में से छह में अर्धशतक उड़ाए। पुणे और धर्मशाला टेस्ट में उन्होंने दोनों पारियों में शतक बनाया। इससे पहले इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में वे केवल एक रन से दोहरे शतक से चूक गए थे। उनके प्रदर्शन भारतीय सलामी जोड़ी की समस्या को सुलझा दिया है। साथ ही शिखर धवन का रास्ता भी बंद हो गया। राहुल के साथ एकमात्र समस्या उनकी फिटनेस है। वे लगातार चोटिल रहे जिसके चलते उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा है। लेकिन उन्होंने कहा कि अब वे इस काम कर रहे हैं।
चेतेश्वर पुजारा: चेतेश्वर पुजारा ने भारतीय पिचों पर खुद को एक बार फिर से बादशाह साबित किया है। विदेशी दौरों पर नाकाम रहने के कारण उन पर दबाव बढ़ गया था। इसके चलते टीम मैनेजमेंट का विश्वास भी उनसे डगमगाने लगा था। लेकिन कोच अनिल कुम्बले ने पुजारा में विश्वास जताया। सौराष्ट्र के इस बल्लेबाज ने इस विश्वास को ना केवल सही साबित किया बल्कि काफी पुख्ता भी कर दिया। उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम की नई दीवार भी कहा जाता है तो इसकी वजह नंबर तीन पर उनका निरंतर प्रदर्शन है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वे भारत की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे।
ऋद्धिमान साहा: महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास के बाद कहा जा रहा था कि भारतीय टीम को उनके बराबर का विकेटकीपर बल्लेबाज मिलना मुश्किल है। साहा की कीपिंग पर किसी को कोई संदेह नहीं था लेकिन बल्लेबाजी को लेकर शक जाहिर किया जा रहा था। लेकिन उन्होंने घरेलू सीजन में संदेह भी समाप्त कर दिया। न्यूजीलैंड के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में खेली गई उनकी पारी को सर्वश्रेष्ठ में से एक माना जाता है। अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने रांची और धर्मशाला में लगातार दो मैचों में बल्ले से अपनी उपयोगिता साबित की। रांची में उन्होंने चेतेश्वर पुजारा का बखूबी साथ दिया और टीम इंडिया को ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया जहां से वह हार नहीं सकती थी। धर्मशाला में जडेजा के साथ उनकी साझेदारी निर्णायक साबित हुई।
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