फौजी ने उड़ाया था मजाकः कहते हैं न कि जब चोट लगती है तो दर्द के साथ-साथ साहस भी बढ़ता है। यही कुछ हुआ अनीस के साथ भी। हरियाणा के करनाल के रहने वाले अनीस जब 10 वर्ष के थे तो परिवार के साथ पूना में आर्मी कैंप में गए थे। जहां परिवार के सदस्यों ने पिस्टल से निशाना लगाया।जब अनीश की बारी आई तो आर्मी के जवान ने कहा तू बच्चा है, रहने दे तेरे से नहीं होगा। ये बात अनीस के अंदर घर कर गई। फिर मेले से पिस्टल जिद कर लाए और घर पर ही दीवारों में निशाने लगाने लगे।
बहन ने भी निभाया रोलः अनीस घर में ही बिना कोच और किसी तकनीक के घंटो अभ्यास करते थे। इसे देखकर उनकी बड़ी बहन ने भी उनका हौसला बढ़ाने का निर्णय लिया और खुद भी निशानेबाजी करने लगी। दोनों एक दूसरे की कमियां निकालने लगे। फिर ये कारवां आगे बढ़ता गया और दोनों अभ्यास के साथ इस खेल की बारीकियों पर ध्यान देने लगे। इसके बाद दोनों प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगे और सफलता के झंडे गाड़ने लगे।
स्विमिंग से शूटिंग तक का सफरः अनीस ने करनाल में पैंटाथालान स्पर्धा के लिए स्वीमिंग, फेसिंग , रनिंग और शूटिंग की अभ्यास शुरू की। लेकिन 2013 में अनीश साइप्रस में अंडर-12 वर्ल्ड कप चैंपियनशिप खेलने के लिए गए। जहां उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। हालांकि इसके तीन साल बाद जब वो 2015 में बीजिंग के जूनियर चैंपियनशिप में खेलने के लिए गए तो वहां शूटिंग में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। जिसके बाद अनीस को लगा कि वो शूटिंग में अच्छा कर सकते हैं और वहीं से इनके अभ्यास का सिलसिला शुरू हुआ और आज अनीस रिकॉर्डों की झड़ी लगा रहे हैं।