नेत्रवलकर ने अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, ‘मैंने पूरे दो साल क्रिकेट को दिए लेकिन मैंने महसूस किया कि मैं गेम को अगले लेवल तक नहीं पहुंचा पा रहा था।’ बता दें कि वह मुंबई के सरदार पटेल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। इसके बाद, जीआरई और टोफेल की परीक्षाएं देकर वे मास्टर्स डिग्री लेने 2015 में अमेरिका चले गए। यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उन्होंने अपने क्रिकेट के हुनर को एक बार फिर निखारा और मैदान पर नई भूमिका में उतरने को तैयार हुए। यहां तक कि सौरभ ने बतौर सॉफ्टवेअर इंजीनियर नौकरी भी शुरू की, लेकिन उन्होंने अपने पैशन को जिंदा रखा।
वह वीकेंड पर शुक्रवार को सैन फ्रांसिस्को से लॉस एंजिलिस एक अन्य क्रिकेटर के साथ गाड़ी चलाकर आते थे। शनिवार को लॉस एंजिलिस में 50 ओवर का मैच खेलते थे। इसके बाद, रात को गाड़ी चलाकर वापस सैन फ्रांसिस्को आते थे। यहां रविवार को वह फिर 50 ओवर का मैच खेलते थे। फिर सोमवार को वह वापस नौकरी पर लौट आते थे। यह सौरभ की कोशिशों का ही नतीजा है कि इस साल जनवरी में सिलेक्टर्स की उन पर नजर पड़ी। बता दें कि अमेरिका में क्रिकेट का प्रसार तेजी से हो रहा है। यहां 48 राज्यों में यह खेला जाता है। इसकी राष्ट्रीय टीम में वेस्ट इंडीज, भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी भी हैं। इससे पहले, महाराष्ट्र के सुशील नादकर्णी और हैदराबाद के इब्राहिम खलील भी अमेरिका के लिए कप्तानी कर चुके हैं।