महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों का हक- हाईकोर्ट ने खारिज की ममता सरकार की अर्जी
Kolkata/Calcutta High Court Verdict or Order on DA Dearness Allowance Today: संगठन ने महंगाई भत्ता बकाया होने की बात भी कही थी और केंद्रीय कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता दिलाने का अनुरोध किया था। संगठन ने सबसे पहले सैट की शरण ली थी।

कोलकाता उच्च न्यायालय ने आज 13 मार्च को बंगाल सरकार द्वारा की गयी अपील को खारिज कर दिया जिसमे सरकार ने महंगाई भत्ते को सरकारी नौकरीपेशा अधिकारियों का अधिकार घोषित कर दिए जाने के कोर्ट के फैसले पर पुनः विचार करने की मांग थी। इस फैसले के साथ कोलकाता उच्च न्यायलय ने यह साफ कर दिया की महंगाई भत्ता पाना राज्य सरकार के कर्मचारियों का कानूनी अधिकार रहेगा।
कोर्ट ने पहले कहा था की बंगाल सरकार के कर्मचारियों को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के सामान महंगाई भत्ता मिले या अन्य राज्य के कर्मचरियों के साथ, इसका फैसला राज्य प्रशाशनिक प्राधिकरण करेगा। प्राधिकरण इस पर फैसला ले चुका है और कोर्ट ने महंगाई भत्ते को राज्य सरकार के कर्मचारियों का कानूनी अधिकार घोषित कर दिया। महंगाई भत्ते को लेकर बंगाल सरकार की कर्मचारियों के साथ लम्बे समय से खींचतान चल रही है। कर्मचारी संगठन ने यह आवाज़ उठाई थी कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मिलने वाले भत्ते की दर उन्हें मिलने वाले भत्ते की दर से कहीं अधिक है।
कर्मचारी संगठन की शिकायत थी कि राज्य सरकार के जो कर्मचारी चेन्नई या दिल्ली में कार्यरत हैं उन्हें 125 फीसदी की दर से महंगाई भत्ता दिया जाता है जबकि यहां के कर्मचारियों को 75 फीसदी की दर से महंगाई भत्ता मिलता है। संगठन ने महंगाई भत्ता बकाया होने की बात भी कही थी और केंद्रीय कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता दिलाने का अनुरोध किया था। संगठन ने सबसे पहले सैट की शरण ली थी। पर सैट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि महंगाई भत्ता देना राज्य सरकार की दया पर निर्भर है। कर्मचारी इसके लिए दावा नहीं ठोंक सकते। इसी निर्देश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। 31 अगस्त को हाईकोर्ट ने सैट के आदेश को खारिज करते हुए महंगाई भत्ता को कर्मचारियों का कानूनी हक बताया था। उसी आदेश को बहाल रखते हुए अदालत ने राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।