सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने वकीलों की चुप्पी पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि कुछ वकीलों का राजनीतिकरण हो गया है, मैं समझता हूं। लेकिन अभी भी ज्यादातर ऐसे वकील हैं जो किसी राजनीतिक खेमे में नहीं बंटे हैं। उन्हें न्याय के लिए आवाज उठानी चाहिए। आखिर भारत के वकील इतने चुप क्यों हैं?
Bar and Bench को दिए एक इंटरव्यू में कपिल सिब्बल ने कॉलेजियम सिस्टम (Collegium System) और एनजेएसी (NJAC) पर बात करते हुए कहा कि मेरा मानना है कि दोनों सिस्टम में कुछ न कुछ खामियां हैं। लेकिन न्यायाधीशों की नियुक्ति में सरकार का कोई दखल हो, मैं इसके बिल्कुल खिलाफ हूं। यह देश के लिए आपदा जैसा होगा।
कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम जिस तरीके से काम करता है, मैं उसका भी विरोध करता हूं। हाल की कई घटनाएं इस बात का सबूत हैं कि कॉलेजियम कोई खास आत्मविश्वास पैदा नहीं करता है।
सिब्बल ने यह भी कहा कि न्यायपालिका के लिए यह मुश्किल है कि अगर सरकार जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को रोक देती है तो अदालत के पास बहुत कम जज बचेंगे और पूरे कामकाज पर असर पड़ेगा। ऐसे में स्थिति यह होता है कि वे भी कहने लगते हैं कि ‘ठीक है…हम कोई रास्ता निकाल लेंगे। शायद आप इसका मतलब समझ रहे होंगे…’।
‘सरकार ने हर संस्था पर कर लिया कब्जा’
कपिल सिब्बल ने कहा कि मौजूदा वक्त में मैं कॉलेजियम सिस्टम को प्राथमिकता देना चाहूंगा, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि सरकार का किसी भी तरह का दखल हो। उन्होंने (सरकार ने) हर तरह के संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है और न्यायपालिका आखिरी ऐसी संस्था है जो अभी भी स्वतंत्र है।
खाली वक्त में कविता लिखते हैं सिब्बल
इसी इंटरव्यू में कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने बताया कि उन्हें कविताएं लिखने का भी शौक है और खाली वक्त में कविता लिखते हैं। सिब्बल कहते हैं कि मैं यूनिवर्सिटीज में पढ़ाता भी रहा हूं, वह मेरे दिल के बहुत करीब था। मुझे वकालत बहुत पसंद है। आपने नोटिस किया होगा कि मैं जब कोर्ट में रहता हूं तो सियासत को बिल्कुल दूर रखता हूं। इसी तरह जब कोर्ट से बाहर होता हूं तो राजनेता होता हूं। मैं दोनों चीजों को एक में कभी नहीं मिलाता।