मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें उनके त्याग और तप के लिए महात्मा गांधी कहा गया, एक अंतरराष्ट्रीय आइकन हैं। उनकी ज्यादातर तस्वीरों का अपना ऐतिहासिक महत्व है और उन तस्वीरों के पीछे कोई न कोई कहानी है। जैसे भारतीय नोट पर छपी महात्मा गांधी की तस्वीर। उस तस्वीर को साल 1946 में वायसराय हाउस (अब राष्ट्रपति भवन) में खींची गई थी। गांधी उस रोज फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस से मिलने पहुंचे थे, जो तब बर्मा और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत थे।
महात्मा गांधी की ऐसी ही एक प्रसिद्ध तस्वीर है, जिसमें वो एक बच्ची को गोद में लिए खिलखिला रहे रहे हैं। उन्मुक्त होकर हँसते हुए गांधी की तस्वीरें तो कई हैं, लेकिन यह तस्वीर कई वजहों से खास है। तस्वीर में देखा जा सकता है बच्ची के दांत अभी आए नहीं हैं और राष्ट्रपिता के दांत टूट चुके हैं। यही वजह है कि इस हँसोड़ जोड़ी को टूथलेस ग्रिंस भी कहा जाता है। सवाल उठता है कि गांधी के साथ उनके गोद में खिलखिला रही बच्ची कौन है? तस्वीर कब और कहां की है यानी इस तस्वीर का इतिहास क्या है?
क्या है इतिहास? : गांधी की गोद में खेल रही बच्ची बहुत खास है। इस बच्ची के पुरखों का शानदार इतिहास है। इस तस्वीर को 1931 में एसएस राजपुताना जहाज पर खींचा गया था। गांधी दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए यूनाइटेड किंगडम जा रहे थे, जिसमें वो नहीं जाना चाहते थे। जाहिर है इस वजह से गांधी का मन शांत नहीं था। इस यात्रा को कवर करने वाले फोटोग्राफरों ने महसूस किया कि गांधी तभी मुस्कुराए जब उन्हें इस बच्ची की सोहबत मिली। यह बच्ची कांग्रेस सदस्य शुएब कुरैशी और गुलनार की बेटी अज़ीज़ फातिमा थीं। पाकिस्तानी मीडिया संस्थान डॉन को दिए एक इंटरव्यू में फातिमा बताती हैं, ”उन्होंने (गांधी) मेरे पिता से पूछा कि क्या वे मुझे उधार ले सकते हैं। हम दोनों की जोड़ी को ‘टूथलेस ग्रिंस’ कहा जाता है क्योंकि हम दोनों में से किसी के भी दांत नहीं थे!” यह तस्वीर द न्यू यॉर्क टाइम्स के कवर पर छपी थी।
फातिमा के पिता शुएब कुरैशी गांधी के समाचार पत्र यंग इंडिया के संपादक थे। विभाजन के बाद कुरैशी यूएसएसआर में पहले पाकिस्तानी राजदूत बने। फातिमा की मां गुलनार के पिता मशहूर स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मोहम्मद अली गौहर थे। वही गौहर जिनके नाम पर विश्वविद्यालय बनाकर सपा नेता आजम खान इन दिनों मुकदमा झेल रहे हैं।
अजीज फातिमा की कहानी: बिना दांत मुस्कान बिखरे रही इस बच्ची का जन्म 23 फरवरी, 1931 को भोपाल में हुआ था। जन्म से पहले ही फातिमा के प्रख्यात नाना मौलाना मोहम्मद अली जौहर ने उनके लिए एक नाम चुन लिया था। अपने अंतिम समय में कई बीमारियों से पीड़ित मौलाना ने अपनी सबसे छोटी बेटी गुलनार से इच्छा व्यक्त की थी कि अगर उसकी पहली संतान बेटी हो, तो वह उसका नाम अजीज फातिमा रखे। गुलनार ने उनकी इच्छा पूरी की। सात बहनों और एक भाई में सबसे बड़ी अजीज फातिमा ने शुरुआती शिक्षा भोपाल के कैम्ब्रिज स्कूल से प्राप्त की और 1946 में मैट्रिक की परीक्षा अजमेर बोर्ड से दी। पढ़ाई लिखाई की भाषा अंग्रेजी रही। उर्दू की तालीम अपने ख़लीक चाचा (चौधरी ख़लीक़ुज्जमां) से ली।
भारत को आजादी के साथ बंटवारा भी मिला। 1948 में फातिमा का परिवार भोपाल से कराची चला गया। फातिमा की शादी डॉ ज़ैनुलबिदीन कमालुद्दीन काज़ी (जिन्ना पोस्टग्रेजुएट मेडिकल सेंटर में आर्थोपेडिक सर्जरी विभाग के संस्थापक) से हुई थी। यह एक अरेंज मैरिज थी, जो फातिमा के पैदा होने से पहले ही तय कर दी गई थी। अपने एक इंटरव्यू में अजीज फातिमा बताती हैं, “बाबा के दोस्त अब्दुर रहमान सिद्दीकी ने उनसे कहा कि मेरी बहन के बेटे में से जो भी उम्र में सबसे करीब होगा, उसकी शादी आपकी सबसे बड़ी बेटी से होगी।” फरवरी 2020 में अजीज फातिमा का निधन उनके कराची स्थित घर में हुआ था।