चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) से लॉ की पढ़ाई की है। ग्रेजुएशन के दिनों की तमाम बातें उन्हें अबतक याद हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कुछ दिन पहले बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के एक कार्यक्रम में ऐसा ही एक मजेदार वाकया साझा किया था, जो अब तक उनके जेहन से नहीं उतरा है।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud Speech) बताते हैं कि सर्दियों की एक सुबह मैं कैंपस लॉ सेंटर (दिल्ली विश्वविद्यालय) में खड़ा था। मेरा एक दोस्त हाथ में चाय का कप लिये मेरी तरफ आया और मुझसे कहने लगा- ‘अब तू करेगा क्या?’ मैंने जवाब दिया मैं वही करूंगा जो करने के लिए यहां आया हूं। कानून की पढ़ाई करने के बाद लॉयर बनूंगा। उसने आगे टोकते हुए कहा, लेकिन जिंदगी कैसे गुजारेगा?
जब दोस्त ने दी गैस एजेंसी खोलने की सलाह
जस्टिस चंद्रचूड़ कहते हैं कि इस सवाल पर मैं थोड़ा ठिठक गया और जवाब दिया वकालत करते हुए…। उसने आगे कहा ‘मैं कुछ सच्चाई सुनाना चाहता हूं। इस प्रोफेशन में जीना है तो कुछ और धंधे अपना ले। मैंने पूछा क्या अपना लूं? उसने कहा एक गैस एजेंसी क्यों नहीं खोल लेता या तेल की डीलरशिप क्यों नहीं ले लेता?
अब तक नहीं भूल पाए हैं वो बात
डीवाई चंद्रचूड़ कहते हैं कि वह बात अब तक मेरे दिमाग से नहीं निकली है। यही हमारे प्रोफेशन की सच्चाई भी है। जूनियर वकीलों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कोविड-19 के दौरान जब सारी कोर्ट बंद थी, तब इसका अनुभव किया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट ने मुझसे कहा कि सर कम से कम रजिस्ट्रार का कोर्ट खुलवा दीजिए, ताकि जूनियर वकीलों की आजीविका चलती रहे।
बॉम्बे हाईकोर्ट से शुरू की थी वकालत
बता दें कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के चर्चित सेंट स्टीफेंस कॉलेज से मैथमेटिक्स और इकोनॉमिक्स ऑनर्स की डिग्री ली है। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से लॉ में ग्रेजुएशन किया। फिर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी चले गए, जहां कानून में मास्टर की डिग्री ली। यहीं से ज्यूडिशियल साइंस में डॉक्टरेट भी किया है। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने बॉम्बे हाईकोर्ट से बतौर लॉयर प्रैक्टिस शुरू की थी। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
हर कोई डीवाई चंद्रचूड़ के साथ काम करना चाहता था
वकालत के दिनों में उनकी गिनती दिग्गज वकीलों में हुआ करती थी। 1980 के दशक में जस्टिस चंद्रचूड़ के साथ बॉम्बे हाई कोर्ट में काम कर चुके एडवोकेट युसूफ हातिम मुछाला मिड डे को दिए एक इंटरव्यू में बताते हैं कि उन दिनों हर कोई डीवाई चंद्रचूड़ के साथ काम करना चाहता था, उनकी भारी डिमांड थी।